साल 2007,पहला टी-20 विश्वकप। दूसरा सेमीफाइनल मैच और भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया। डरबन के मैदान पर रोमांच का पूरा इंतजाम था। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फैसला किया।
विस्फोटक वीरेंद्र सहवाग सिर्फ 9 रन बनाकर आउट हो गए। गौतम गंभीर (24) और टी-20 स्पेशलिस्ट रॉबिन उथप्पा (34) ने पारी को बढ़ाया पर ज्यादा देर तक नहीं। आठवें ओवर में गंभीर का विकेट गिरने के बाद क्रीज पर युवराज सिंह उतरे। इंग्लैण्ड के खिलाफ छह छक्के जड़े युवराज को अभी ज्यादा दिन नहीं बीते थे। इसके सबूत युवराज ने आते ही दिया। दूसरी बॉल पर युवराज ने स्क्वायर लेग पर छक्का ठोक दिया। अगला ओवर करने ब्रेट ली आए। ओवर की आखिरी बॉल को युवी ने फिर स्टैण्ड में दे मारा। जब ली नहीं बचे तो एंड्रयू सायमंड्स भला क्या करते। युवराज ने उन्हें भी चौका-छक्का लगाया। स्टुअर्ट क्लार्क नया स्पेल लेकर आए तो युवी ने 20 रन ठोक उनको वापस भेजा। 21 बॉल पर ही सिक्सर किंग ने अपना अर्द्धशतक पूरा किया।
दूसरे छोर से उथप्पा ने युवी का अच्छा साथ दिया। लेकिन कप्तान धोनी का साथ मिलते ही युवी ने और हल्ला बोल दिया। दोनों ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ी के बखिया उधेड़ दी। आखिर 18वें ओवर में युवराज आउट हुए। इससे पहले वो पांच चौके-पांच छक्कों की मदद से 30 बॉल पर 70 रन जमा चुके थे। धोनी ने भी 18 बॉल पर 36 रन ठोक भारत का स्कोर 188 तक पहुंचा दिया।
श्रीसंथ और हरभजन सिंह की गेंदों ने ऑस्ट्रेलिया को लक्ष्य से 15 रन पहले ही रोक दिया। भारत ने शान से फाइनल में एंट्री ली और मैच के हीरो एक बार फिर बने सिक्सर किंग युवराज सिंह।