10 नवंबर की तारीख विश्व क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। दरअसल, साउथ अफ्रीका ने 10 नवंबर, 1991 को लगभग 21 साल बाद अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की थी। आप सोच रहे होंगे विश्व क्रिकेट की धाकड़ टीमो में से एक साउथ अफ्रीका ने इतनी देर से क्रिकेट में क्यों वापसी की। यहां तक की साउथ अफ्रीका को अपना पहला वर्ल्ड कप खेलने के लिए 17 साल तक इंतजार करना पड़ा। साउथ अफ्रीकी टीम ने 1992 में अपना पहला वर्ल्ड कप खेला था।
वैसे तो साउथ अफ्रीकी टीम को भारत से पहले ही साल 1889 में टेस्ट टीम का दर्जा मिल गया था, लेकिन इस टीम को 20वीं शताब्दी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पूरे 21 साल का बैन झेलना पड़ा। दरअसल, साउथ अफ्रीका में रंगभेद नीति काफी समय से चली आ रही थी। ये स्थिति तब और गंभीर हो गई जब साल 1948 में ही दक्षिण अफ़्रीकी नेशनल पार्टी की सरकार ने काले और गोरे लोगों के अलग-अलग रहने की व्यवस्था लागू कर दी। इसे रंगभेद नीति या अपार्थाइट कहा गया। बता दें कि साउथ अफ्रीका की आबादी में लगभग 80 फीसदी हिस्सा वहां के पारंपरिक अश्वेतों का है, जबकि ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देशों से जाकर बसे श्वेतों की संख्या 10 फीसदी से भी कम है।

भारत बनाम साउथ अफ्रीका (Photo: Getty Images)
70 के दशक की शुरुआत तक साउथ अफ्रीका की रंगभेद नीति सारी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन चुकी थी। उसे 1964 के ओलंपिक में हिस्सा लेने से रोक दिया गया था। इस दौरान साउथ अफ्रीका सरकार ने कुछ ऐसे नियम बना दिए, जिसने आईसीसी को असमंजस में डाल दिया था। सरकार के नियमों के मुताबिक उनकी देश की टीम को श्वेत देशों (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के खिलाफ ही खेलने की अनुमति थी। यह भी शर्त यह थी कि विपक्षी टीम में श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे। दक्षिण अफ्रीकी सरकार के इस कदम का पूरी दुनिया में विरोध हुआ।
साल 1971 में रंगभेद नीति पर वैश्विक विरोध के कारण अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने साउथ अफ्रीका के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने पर भी पाबंदी लगा दी। इस दौरान साउथ अफ्रीका ने कई देशों को अपने यहां क्रिकेट खेलने के लिए आमंत्रित किया लेकिन इक्का-दुक्का टीमों को छोड़कर कोई भी क्रिकेट टीम आधिकारिक मैच खेलने वहां नहीं गई।

भारत बनाम साउथ अफ्रीका (Photo: Getty Images)
साल 1990 में साउथ अफ्रीका का राजनैतिक माहौल बदला। नेल्सन मंडेला जेल से रिहा हुए। रंगभेद नीति के कमजोर पड़ने के साथ ही दक्षिण अफ्रीका पर लगा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिया गया और 21 साल बाद साउथ अफ्रीका की टीम अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में लौट आई।
क्रिकेट में वापसी के बाद क्लाइव राइस की कप्तानी में साउथ अफ्रीकी टीम ने 10 नवंबर, 1991 को पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच भारत के खिलाफ कोलकाता में खेला। हालांकि इस मुकाबले में भारत ने 3 विकेट से जीत दर्ज की। इस ऐतिहासिक मैच में तेज गेंदबाज एलन डोनाल्ड 29 रन देकर 5 विकेट झटके। ये उनका पहला मैच था। इस घटना के कुछ साल बाद साउथ अफ्रीका की टीम में अश्वेत खिलाड़ियों के लिए आरक्षण लागू किया गया। इसकी बदौलत 12 जुलाई 2006 को एश्वेल प्रिंस साउथ अफ्रीका टीम के पहले अश्वेत कप्तान बने।