भारतीय महिला क्रिकेटर झूलन गोस्वामी का जीवन जल्द ही 70 MM के सिल्वर स्क्रीन पर नजर आएगी। इस बायॉपिक को बनाने का अधिकार सोनी पिक्चर्स इंटरनैशनल प्रॉडक्शन्स, भारत ने खरीदा है, इसके अलावा डुनामिस इंटरटेनमेंट इसमें अन्य सहयोगी होगी। फिल्म के निर्माण की घोषणा बीते हफ्ते हुई है। भारतीय महिला क्रिकेट की पोस्टर गर्ल झूलन पश्चिम बंगाल के नादिया की रहने वाली हैं। उनके नाम अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट दर्ज हैं, इसके अलावा वह भारतीय टीम की पूर्व में कप्तानी भी कर चुकी हैं। जानें झूलन का जीवन कैसा रहा हैः
सन् 1992 के विश्वकप को झूलन ने टीवी पर देखा, जिसके बाद उनके मन में क्रिकेटर बनने का शौक पैदा हुआ। झूलन के पिता हालांकि अपनी बेटी को क्रिकेट के बजाय पढ़ाई पर फोकस करने को कह रहे थे। लेकिन झूलन ने क्रिकेट को प्राथमिकता पर लिया और बाद में उनके पिता भी मान गए।
ऐसा बनीं क्रिकेटर
झूलन ने क्रिकेटर बनने का सपना तो देख लिया, लेकिन इसे पूरा करने के लिए उन्हें अपने होमटाउन से कोलकाता के लिए 58 किमी का डेली ट्रेवल करना पड़ता था। जिसके लिए सुबह 4:30 की लोकल पकड़कर कोलकाता जाना होता था।
कोचिंग के लिए लंबा सफर तय करना होता था
25 नवंबर सन् 1982 में पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में जन्मी झूलन गोस्वामी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। 15 वर्ष की उम्र में झूलन गोस्वामी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, हालांकि वह अन्य बंगाली लोगों की तरह ही फुटबॉल की फैन थीं।
झूलन गोस्वामी
झूलन गोस्वामी ने भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए खूब कठिन मेहनत की, जिसके परिणाम ये रहा कि 19 वर्ष की उम्र में साल 2002 में झूलन का चयन भारतीय टीम में हो गया। उसके बाद झूलन ने लगातार सफलता हासिल की और मिताली राज के साथ मिलकर साल 2007 में इंग्लैंड को उसी की धरती पर मात देते हुए भारत को पहली टेस्ट सीरिज में विजय दिलाई।
साल 2002 में किया डेब्यू
साल 2007 में झूलन गेंद और बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया, जिसके लिए आईसीसी ने उन्हें उस साल के महिला क्रिकेटर ऑफ द इयर के अवार्ड से सम्मानित किया। जबकि साल 2008 से 2011 तक झूलन भारतीय टीम की कप्तान भी रहीं हैं। इसके अलावा झूलन दुनिया में सबसे तेज गेंद फेंकने और सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज कर रखा है।
झूलन की उपलब्धियां