2003 विश्व कप ने भारतीय टीम ने लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल तक का सफर तय किया था। हालांकि उसको फाइनल में जाकर ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। मगर भारतीय टीम फाइनल में लड़कर हारी थी। लेकिन इससे पहले भारतीय ड्रेसिंग रूम में कुछ ऐसा हुआ था जो सचिन तेंदुलकर के महत्व को और बढ़ा देता है और बताता है कि सचिन के टीम में होने मात्र से टीम को कितना फायदा होता था।
मामला है फाइनल मुकाबले का ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए रिकी पोंटिंग के शानदार शतक की बदौलत 359 रन का विशाल स्कोर बनाया थे। इसके बाद भारतीय टीम जब इंनिंग ब्रेक के समय ड्रेसिंग पहुंची तो हर भारतीय खिलाड़ी निराश था और वह हार मान चुके थे। क्योंकि इतने बड़े लक्ष्य को उस समय तक कोई भी टीम चेस नहीं कर पाई थी। पूरी टीम को निराश और हारा हुआ देखकर सचिन तेंदुलकर ने टीम का मनोबल बढ़ाया।
सचिन ने टीम को प्रेरित करते हुए कहा कि हम 360 रनों के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को रणनीति बताई। उन्होंने कहा हम हर ओवर में कम से कम एक बाउंड्री लगाने का प्रयास कर सकते हैं। अगर हम ऐसा कर पाते हैं तो हम 50 गेंदों में 200 रन बना लेंगे। इसका मतलब यह होगा कि हमे अगली 250 गेंदों में सिर्फ 160 और बनाने होंगे और मेरे हिसाब से यह मुश्किल नहीं लगता। सचिन की इस स्पीच और प्लानिंग को सुनकर भारतीय टीम फिर से मैच में लड़ने को तैयार हुई।
हालांकि टीम को इसमे सफलता हाथ नहीं लगी और टीम को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। खुद सचिन भी पहले ही ओवर में ग्लेन मैक्ग्रा का शिकार बन गए। मगर इसके बावजूद टीम ने लड़ाई जारी रखने का प्रयास किया। मैच के बाद मशहूर कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इस बात का खुलासा किया था। तो अब आप समझ ही गए होंगे कि सचिन का टीम में होने किसी वरदान से कम नहीं था।