भारतीय टीम को अपने बल्ले के दम पर कई अहम मैच जीता चुके अंजिक्य रहाणे एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो टीम को फ्रंट से लीड करना भी भलि भांति जानते हैं। कार्यवाहक कप्तान के रुप में कई बार अंजिक्य रहाणे को टीम इंडिया की अगुवाई करते देखा गया है। मार्च में भारत का टेस्ट कप्तान होना और जून में 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभाना कभी आसान नहीं होता लेकिन अजिंक्य रहाणे टीम के लिए समर्पित खिलाड़ी हैं जिनका मानना है कि जब कोई भारत की जर्सी पहनता है तो उसे अपनी असुरक्षा और अहं को दूर रखना पड़ता है।
धर्मशाला में आस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट में रहाणे भारत के कप्तान थे और भारत ने यह टेस्ट जीतकर टेस्ट श्रृंखला अपने नाम की थी। चैंपियंस ट्रॉफी में हालांकि उन्हें एक भी मैच खेलने को नहीं मिला और उन्हें 12वें खिलाड़ी की भूमिका निभानी पड़ी।
रहाणे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, ‘अगर मैं टेस्ट टीम में उप कप्तान हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 12वें खिलाड़ी की अपनी भूमिका नहीं निभाऊंगा। जब आप अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं तो आपको वही करना होता है जो काम आपको सौंपा जाता है। जब मैं चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ड्रिंक्स लेकर जा रहा था तो मुझे अहं से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी। मैं ऐसा की व्यक्ति हूं।’’ दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज में भारत की एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय टीम में सफल वापसी करते हुए पांच मैचों में एक शतक और तीन अर्धशतक की बदौलत 67.20 की औसत से 336 रन बनाए।
उन्होंने कहा, ‘‘वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला मेरे लिए विशेष थी, जो मैंने निरंतरता दिखाई उसके कारण। यह श्रृंखला मेरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय करियर के लिए महत्वपूर्ण थी और लगभग सभी मैचों में रन बनाना संतोषजनक अहसास है। मुझे अपनी बल्लेबाजी के विभिन्न पक्षों को दिखाने का मौका मिला।’’ रहाणे के अनुसार खेल के तकनीकी पहलुओं में बदलाव से अधिक जरूरी मानसिक तौर पर बदलाव करना है।
रहाणे के अनुसार वेस्टइंडीज में खेली गई पारियां विशेष थी क्योंकि वहां की पिच बल्लेबाजी के लिए पूरी तरह से अनुकूल नहीं थी और पोर्ट ऑफ स्पेन तथा एंटीगा की पिचों पर काफी परेशानी हो रही थी।
आपको बता दें रहाणे वेस्टइंडीज के खिलाफ उसी की सरज़मीं पर बाइलेट्रल सीरीज में मैन ऑफ द सीरीज का ख़िताब जीतने वाले चौथे भारतीय हैं। उनसे पहले सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और रोहित शर्मा इस कारनामे को अंजाम दे चुके हैं। यहाँ तक कि विराट कोहली भी वेस्टइंडीज में मैन ऑफ द सीरीज नहीं बने हैं। इसका मतलब यह हुआ कि जो काम उनके कप्तान विराट कोहली नहीं कर पाए वो काम खुद रहाणे ने कर दिखाया। यह इस बल्लेबाज़ के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं।