भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रांची में खेला गया तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ। मैच के पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया भारत से पहली पार के आधार पर 129 रन पीछे था। भारत को जीत की उम्मीद अपने गेंदबाजो से थी लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज पीटर हैंड्सकॉम्ब (नाबाद 72) और शॉन मार्श ने पांचवें विकेट के लिए शतकीय साझेदारी कर भारतीय टीम और भारतीय प्रशंसकों को निराश कर दिया। मैच के पांचवे दिन पहले सेशन में भारत को दो विकेट मिले और उम्मीदों को पंख लगने शुरु हो गए लेकिन इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने जब विकेट लिया तब तक मैच खत्म होने की ओर था। अंत में जब दिन का खेल खत्म हुआ तो ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट खोकर 204 रन बना लिए थे और भारत से 52 रन आगे थे। रांची के पहले अंतरराष्ट्रीय टेस्ट भले ही बराबरी पर छूटा हो लेकिन इस मैच ने कई यादगार पल देखे। –

800वें टेस्ट में टॉस ने बढाई उम्मीदें –
रांची का पहला टेस्ट ऑस्ट्रेलियाई टीम का 800वां टेस्ट था। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ ने जैसे ही टॉस जीता कंगारुओं के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ आई। रांची के पिच को लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि स्पिनरों को मदद मिलेगी और ऐसे में टॉस जीतना किसी भी टीम के लिए खुशी की बात होगी। लेकिन जब पांच दिन के बाद मुकाबला खत्म हुआ तो टेस्ट ने कई उतार चढाव देखे।

स्मिथ की बल्लेबाजी देख हर कोई रहा हैरान –
टॉस जीतने के बाद ऑस्ट्रेलियाई खेमे में बस एक ही बातों पर चर्चा हो रही होगी कि रांची के पिच पर कितना स्कोर किया जाए। 140 पर चार विकेट गंवाने के बाद उनकी उम्मीदें सिर्फ और सिर्फ कप्तान पर टिकी थी। भारतीय खेमा भी काफी खुश नजर आ रहा था लेकिन किसी को क्या पता था कि एक तूफानी बल्लेबाज मैदान पर आ कर कप्तान का साथ निभा जाएगा। अपने अंदाज से बिलकुल अलग खेलते हुए ग्लेन मैक्सेवल ने कप्तान के साथ पांचवें विकेट के लिए 191 रन की साझेदारी कर भारतीय टीम को सोचन पर मजबूर कर दिया। दूसरी तरफ स्मिथ जब 178 रन पर जब नाबाद पवेलियन लौटे तो ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 451 रन था। अब यहां से खेल बदलने वाला था। लेकिन उससे पहले टीम इंडिया को लगा था बड़ा झटका –

चोटिल कंधे के कारण छाए कोहली –
मैच के पहले ही दिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली फील्डिंग करते हुए चोटिल हो गए। कोहली मैदान से बाहर जा चुके थे और चर्चाओं का बाजार गर्म हो चला था। कोहली के मैदान पर वापसी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन तीसरे दिन कोहली मैदान पर उतरे। कोहली के बल्ले से सिर्फ 6 रन निकले लेकिन इसके बाद से कोहली चर्चा के केन्द्र में आ गए। मैदान और मैदान से बाहर मैच से ज्यादा कोहली के कंधे की चर्चा होने लगी। ग्लेन मैक्सवेल से लेकर मीडिया तक में सिर्फ कोहली और कोहली का कंधा छाया रहा। सीरीज में उनकी विफलताओं को किसी ने छूआ ही नहीं।

मैराथन पारी ने बदला खेल –
451 के जवाब में भारत ने शानदार शुरुआत की तीसरे दिन के अंत तक चेतेश्वर पुजारा ने शतक बना लिया था जबकि भारत के खाते में छह विकेट खोने के बाद 360 रन थे। चौथे दिन दोनों ही टीम की उम्मीदें इस बात पर टिकी थी कि भारतीय बल्लेबाजी कहां तक जाती है लेकिन किसे पता था कि दिन की ढाई सेशन तक एक भी विकेट नहीं गिरने वाला है। चेतेश्वर पुजारा ने 525 गेंद की मैराथन पारी खेल 202 रन बनाए तो ऋद्धिमान साहा ने 117 रन बनाए। दोनों ने सातवें विकेट के लिए मैच की सबसे बड़ी साझेदारी(199) कर डाली यहां से मैच भारत की झोली में जाता दिखने लगा, दिन का खेल खत्म होने तक रविन्द्र जडेजा ने 2 विकेट लेकर दोनों ही खेमे में सनसनी भी मचा दी लेकिन मैच का अंजाम कुछ और ही होना था –
हैंड्सकॉम्ब का जवाब नहीं –
अपने दूसरे ही मैच में शतक लगा कर टीम में जगह बनाने वाले पीटर हैंड्सकॉम्ब ने मानों अपना सबकुछ रांची के लिए बचा कर रखा हो। गिरते विकेट के बीच जब कप्तान स्मिथ भी पवेलियन लौट गए तो ऐसा लगने लगा कि मैच अब भारत के हाथों में है लेकिन एक तरफ हैंड्सकॉम्ब डटे थे औऱ उन्हें शॉन मार्श (53) का साथ मिला, मैच के पांचवे दिन पांचवे विकेट के लिए शतकीय साझेदारी (124) कर दोनों ने टीम को हार से बचा लिया। लेकिन इस हार के बाद भारतीय टीम को सोचना होगा कि विरोधी टीम के 20 विकेट अंतिम टेस्ट में कैसे निकाले क्योंकि –

जडेजा से पीछे रह गए अश्विन –
होम सीजन में हर टेस्ट के साथ रिकॉर्ड बनाने वाले अश्विन सीजन के खत्म होते होते बेजान से लगने लगे हैं। रांची की घूमती पिच पर उन्हें दो विकेट के लिए 64 ओवर तक गेंदबाजी करनी पड़ी जबकि जडेजा ने मैच में 93.3 ओवर की गेंदबाजी कर 9 विकेट झटके। मैच के बाद जडेजा निश्चित रुप से अब नंबर वन गेंदबाज बन जाएंगे। लेकिन अश्विन को सोचना होगा कि जब ऐसी पिच पर विकेट नहीं ले पा रहे हैं तो विदेशी जमीन पर रिकॉर्ड कैसे बना पाएंगे।