भारतीय कप्तान विराट कोहली और अनिल कुंबले के बीच जो कुछ भी हुआ उसमें कुंबले के सम्मान को ठेंस पहुंची, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की भूमिका तो तभी बन गई थी, जब कुंबले का नाम भी कहीं नहीं था। कोहली और कुंबले के बीच तथाकथित मतभेद का मूल कारण वे परिस्थितियां हैं जो कुंबले के हेड कोच बनने से पहले बनीं।
कुबंले के कोच नियुक्त होने से पहले रवि शास्त्री टीम के मैनेजर थे और कहा जा रहा था कि विराट कोहली शास्त्री को ही टीम का हेड कोच चाहते हैं, लेकिन कोच नियुक्त करने की प्रक्रिया में उनसे राय नहीं ली गई। मई 2016 में बीसीसीआई ने कोच के लिए आवेदन आमंत्रित किए जिसमें शर्त यह थी कि आवेदक को प्रथम श्रेणी या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोचिंग का अनुभव होना चाहिए। कुंबले उन 57 आवेदकों में थे, जिन्होंने कोच के लिए आवेदन किया था।
इन 57 आवेदकों में से सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण की सदस्यता वाली क्रिकेट बोर्ड की सलाहकार समिति ने 21 सदस्यों को शॉर्टलिस्ट किया। इन 21 आवेदकों में अनिल कुंबले का नाम भी था जो इसलिए चौकाने वाला था क्योंकि बोर्ड की शर्त के अनुसार कुबंले न तो प्रथम श्रेणी स्तर पर और न ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोच रहे हैं, फिर उनका नाम शॉर्टलिस्ट कैसे हो गया? बोर्ड ने आख़िर क्यों अपने ही बनाए नियमों को तोड़ा? क्या कुंबले को किसी तरह का फेवर किया गया?
कुंबले के कोच बनने के दौरान रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के मतभेदों की खबरें मीडिया में बहुत आईं और अंत में हेड कोच के लिए कुंबले के नाम पर मुहर लग गई। यह भी माना गया कि कोच चुनने की प्रक्रिया से समझौता इसलिए भी किया गया क्योंकि कुंबले के नाम पर सचिन, लक्ष्मण और गांगुली पूरी तरह सहमत थे। इसका मतलब यह हुआ कि सलाहकार समिति की निजी पसंद बोर्ड के नियमों से बड़ी हो गई।
ख़ैर, कुंबले के पद संभालते ही यह बात भुला दी गई कि कुंबले बोर्ड की शर्तों पर खरे उतरे या नहीं। कुंबले ने अपना काम शुरू किया और सबकुछ सामान्य नज़र आने लगा। सलाहकार समिति यह जानती थी कि कप्तान कोहली कुंबले के नाम पर सहमत नहीं हैं, फिर भी इस समिति ने कोहली से इस मामले पर बात नहीं कि और उन्हें कॉन्फिडेंस में लेने कोशिश भी नहीं की। यहीं से सारी बातें शुरू हुईं और कोहली और कुंबले में शुरुआत से ही मतभेद पनपते गए।
इन तथ्यों के बाद क्या यह कहना गलत होगा कि कोहली ने जो किया सो किया, लेकिन क्या कोहली कुंबले के बीच दूरियां बढ़ाने के लिए क्रिकेट बोर्ड की यह ताकतवर समिति जिम्मेदार नहीं है? अगर गांगुली, सचिन और लक्ष्मण शुरू में ही कोहली और कुंबले के बीच जम रही बर्फ पिघला देते तो बात आज यहां तक नहीं पहुंचती। कुंबले के साथ जो हुआ उसके लिए सलाहकार समिति के ये दिग्गज क्रिकेटर भी जिम्मेदार हैं।