महेन्द्र सिंह धोनी के वनडे और टी 20 सीरीज से कप्तानी का पद छोड़ने के बाद टीम इंडिया के नए कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में भारत ने पहला सीरीज 2-1 से जीत लिया। इंग्लैंड के खिलाफ रविवार को खेले गए सीरीज के तीसरे और अंतिम वनडे मैच में भारत को 5 रन से हार मिली लेकिन सीरीज भारत के नाम हुई। तीनों ही मुकाबले हाई स्कोर रहे जिसमें भारत ने पहले दो मुकाबलों में इंग्लैंड को हराया। इस सीरीज में कुल 2090 रन बने, जो तीन या उससे कम मैचों की किसी सीरीज में अब तक के इतिहास में सर्वाधिक रन हैं। तीनों मुकाबले में शानदार बल्लेबाजी करने वाले केदार जाधव को मैन ऑफ द सीरीज चुना गया।
अंतिम मुकाबला भी रोमांचक रहा। भारत के सामने इंग्लैंड ने 321 का लक्ष्य दिया और नतीजा अंतिम गेंद पर मिला। भारत की और से जाधव ने 90 रन की शानदार पारी खेली लेकिन अंत में टीम इंडिया नौ विकेट खोकर 316 रन ही बना सकी। बल्लेबाजी के दौरान नाबाद 57 रन बनाने के बाद गेंदबाजी में सर्वाधिक तीन विकेट चटकाने वाले बेन स्टोक्स को मैन ऑफ द मैच चुना गया।
बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। चोटिल शिखर धवन की जगह पारी की शुरुआत करने आए अजिंक्य रहाणे (1) दूसरे ओवर में ही पवेलियन लौट गए। दूसरे सलामी बल्लेबाज लोकेश राहुल (11) भी ज्यादा देर नहीं टिक सके और 37 के स्कोर पर पवेलियन लौटे। इसके बाद कप्तान विराट कोहली (55) ने युवराज सिंह (45) के साथ 65 रनों की साझेदारी कर टीम को मजबूत करने की कोशिश की। लेकिन दोनों बल्लेबाज रनों की गति तेज नहीं रख पाए।
टीम का स्कोर 100 के पार ही हुआ था कि कोहली ऊंची उठती गेंद पर बल्ला अड़ाने के चक्कर में विकेट की पीछे बटलर के हाथों लपक लिए गए। कोहली ने 63 गेंदों का सामना किया और आठ चौके लगाए। युवराज सिंह का साथ देने उतरे महेंद्र सिंह धोनी (45) कुल स्कोर में 31 रन ही जोड़ पाए थे कि युवराज सैम बिलिंग्स के हाथों लपक लिए गए।
इसके बाद धोनी और जाधव ने रनों की गति तेज करनी शुरू ही की थी कि गेंद ने धोनी के बल्ले का बाहरी किनारा ले लिया। ऊंची उठती गेंद पर धौनी ने तेज शॉट खेलने की कोशिश की लेकिन बटलर को कैच थमा बैठे। भारतीय टीम 173 के कुल योग पर पांच अहम विकेट गंवा चुकी थी और हार की ओर बढ़ती नजर आने लगी थी। लेकिन यहां से जाधव और हार्दिक पांड्या (56) ने 7.51 के तेज औसत से 104 रन जोड़ते हुए फिर से भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में जीत की आस जगा दी।
पांड्या ने 43 गेंदों में चार चौके और दो छक्के जड़े। तेज शॉट खेलने के प्रयास में पांड्या गेंद की लाइन समझ नहीं पाए और बेन स्टोक्स की गेंद ने उनकी गिल्लियां बिखेर दीं। रवींद्र जडेजा (10) का शॉट तो तेज लगाया था, लेकिन वह सीमारेखा पर खड़े बेयरस्टो को पार नहीं कर सके। रविचंद्रन अश्विन (1) भी ऊंचा शॉट खेलने के प्रयास में स्टोक्स के हाथों कैच कर लिए गए। भारत को आखिरी के तीन ओवरों में 27 रनों की दरकार थी, लेकिन 48वें ओवर में भारतीय टीम सिर्फ चार रन जोड़ सकी।
अब सारी उम्मीदें जाधव पर टिकी हुई थीं। आखिरी ओवर में भारत को 16 रनों की दरकार थी और जाधव ने पहली गेंद पर छक्का और दूसरी गेंद पर चौका लगाकर लक्ष्य भारत की जद में ला दिया। लेकिन अगली लगातार दो गेंदों पर रन बना पाने का दबाव उन पर नजर आने लगा। इस बीच उन्होंने बल्ला बदला और अगली गेंद पर तेज शॉट भी लगाया, लेकिन गेंद सीमारेखा को पार नहीं कर सकी और बिलिंग्स ने कैच थामने में कोई गलती नहीं।
जाधव ने 74 गेंदों की तेज तर्रार पारी में 12 चौके और एक छक्का लगाया। अब भारत को आखिरी गेंद पर छह रन चाहिए थे और सामने थे भुवनेश्वर कुमार। भुवनेश्वर हालांकि गेंद को छू भी नहीं सके और इंग्लैंड ने मैच पांच रन से अपने नाम कर लिया।
इंग्लैंड के लिए स्टोक्स ने तीन और जैक बॉल तथा क्रिस वोक्स ने दो-दो विकेट लिए। विली और प्लंकेट को एक-एक विकेट मिला। इससे पहले, इंग्लैंड ने जेसन रॉय (65), बेयरस्टो (56), कप्तान इयान मोर्ग (43) और स्टोक्स (नाबाद 57) के संयुक्त प्रयास से आठ विकेट पर 320 रनों का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था।