लगभग चार साल के लंबे अंतराल के बाद तमिलनाडु के युवा ऑलराउंडर यो महेश ने घरेलू क्रिकेट में शानदार वापसी की है। मुंबई के खिलाफ हुए राउंड 3 मुकाबले में यो महेश ने नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार शतक ठोका। जिसकी बदौलत तामिलनाडु टीम मुंबई पर 76 रनों की बढ़त बनाने में कामयाब रही है। इससे पहले यो महेश ने गेंदबाजी में भी अपना जौहर दिखाते हुए दो अहम विकेट चटकाए।
तीसरे दिन के खेल खत्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में यो महेश ने ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने अपनी वापसी पर कहा, “मैं काफी अच्छा महसूस कर रहा हूं और अपने प्रदर्शन से खुश संतुष्ट हूं। मैंने चेन्नई में क्लब के साथ कुछ मैच खेले थे जिससे मुझे रणजी सीजन में अच्छा करने का आत्मविश्वास मिला।”
गंभीर चोट के बाद वापसी करने वाले यो महेश ने बताया, “मेरे लिए वो सबसे मुश्किल दौर था। चार साल क्रिकेट से दूर रहा। लेकिन इसे मैं एक अच्छे अनुभव के तौर पर लेना चाहूंगा। इस दौरान मुझे क्रिकेट और क्रिकेट के बाहर की दुनिया में बहुत कुछ सीखने को मिला।”
आपको बता दें, यो महेश काफी सालों से घुटने का इलाज करवा रहे थे। उन्हें सर्जरी के लिए लंदन जाना पड़ा। अपने इस मुश्किल वक्त में उन्हें इलाज के लिए कहीं से भी मदद नहीं मिली। उन्हें अपने पैसों से ही इलाज करवाना पड़ा। महेश ने आगे बताया, ” मैं इलाज के लिए लंदन गया जहां मैं डॉक्टर एंडी विल्लिय्म्स से मिला। ये मेरे लिए चुनौती भरा सफर था क्यूंकि इलाज के लिए खर्चे मुझे अपने ही जेब से देने पड़े। क्रिकेट मेरे लिए रोजी-रोटी का एकमात्र जरिया था। इसलिए मुझे किसी तरह क्रिकेट में वापसी करना था।”
29 वर्षीय तमिलनाडुके इस ऑलराउंडर ने बताया, “मुझे पता था कि मेरे लिए वापसी करना आसान नहीं होगा। इलाज करवाने में मुझे डेढ़ साल लग गये। इसके बाद मुझे एक साल के लिए आराम की सलाह दी गई। इस दौरान उबरने के लिए मैंने काफी मेहनत की। रणजी और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में अब कम्पटीशन बढ़ गई है और फिटनेस काफी ज्यादा मायने रखता है।
103 रनों की नाबाद पारी खेलने वाले महेश ने आगे बताया, “शुरु में मुझे बाबा अपराजित का साथ देना था। इसलिए मैं काफी संभल कर खेल रहा था। लेकिन उसके आउट होने के बाद टीम की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गिरी। टीम के आठ विकेट गिर चुके थे और मुझे आगे के दो बल्लेबाजों के साथ पारी को संभालना था।
इसके बाद यो महेश ने अपनी वापसी पर जिक्र करते हुए कहा, “सच्चाई ये है कि मैं उस स्थिति में नहीं था, लेकिन मुझे अच्छे बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजी कर अपना लेवल जानना था। मैंने बालाजी से बात की, और कहा कि मुझे गेंदबाजी करनी है। मैंने एक फिटनेस टेस्ट दिया और उसे पास किया। मैंने चयनकर्ता से भी बात की। मैं जानता था कि ये आसान नहीं होगा क्यूंकि चार सालों में काफी कुछ बदल चुका था लेकिन अवसर प्राप्त करने में मैं कामयाब रहा।”