दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल है, अन्य खेल इस खेल के इर्द-गिर्द टिकते तक नहीं हैं। क्लब लेवल में जहां इसकी लोकप्रियता तो रहती ही है, लेकिन असली जंग तो फुटबॉल विश्व कप को माना जाता रहा है। जिसकी वजह भी है, इस टूर्नामेंट में दुनिया के दिग्गज फुटबॉलर अपने देश को कप जिताने के इरादे से उतरते हैं। इसी सिलसिले में 14 जून 2018 से रूस में फीफा विश्वकप शुरु होने जा रहा है। जिसमें दुनिया भर की टीमें कप के लिए मैदान में अपना जी-जान लगाने के लिए तैयार हैं। इसी फेहरिस्त में हम अपने फुटबॉल फैंस के लिए फुटबॉल से जुड़ी कुछ रोचक बाते बता रहे हैं, जो बेहद खास व दिलचस्प हैंः
एल्फिसो बासिले की वापसी साल 2006 के विश्व कप के बाद दोबारा हुई, जहां वह अर्जेंटीना के कोच बने और टीम में लियोनेल मेसी भी आ चुके थे। बासिले ने जोस पेकरमैन की जगह जिनकी मैसी से बन रही थी। इस तरह बासिले मैराडोना और मैसी दोनों को कोचिंग देने वाले एकमात्र कोच बन गए।
2006 में फिर हुई वापसी
फुटबॉल के दिलचस्प किस्सों की इस सीरीज में आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने मैराडोना के अलावा मैसी को भी कोचिंग दी है। इस शख्स का नाम एल्फीयो बासिले है, जिसने अर्जेंटीना के स्वर्णिम फुटबॉल इतिहास में और वर्तमान भूगोल को संवारने में अहम भूमिका रही है। हालांकि सन् 1993 में अर्जेंटीना को कप जिताने में उनके चेले मैराडोना की अहम भूमिका रही थी, तो मैसी साल 2014 में कप जीतने से सिर्फ एक कदम चूक गये थे।
एल्फिसो बासिले
एल्फिसो बासिले टीमे के कोच तो बन गये, उन्होंने युवा खिलाड़ियों के अलावा सन् 1986 विश्वकप विजेता ऑस्कर रगेरी और इटालिया 90 के हीरो रहे गोलकीपर सर्जियो गोयकोकीया को भी टीम में शामिल करके अनुभव व युवा खिलाड़ियों का मिश्रण तैयार किया। लेकिन शुरु में टीम ड्रा मैच को जीत में बदलने में नाकामयाब रहने लगी। जिसके बाद उनकी तीखी आलोचना होने लगी, हालांकि उन्होंने हंगरी को 2-0 से मात देकर बढ़िया शुरुआत की थी।
शुरू में हुई आलोचना
सन् 1992 बासिले के लिए शानदार साल रहा, जहां अर्जेंटीना ने जापान में हुए किरिन कप और उरुग्वे को मात देकर कोपा लिप्टन कप जीता। इसी वर्ष टीम को फर्नांडो रेडोंडो जैसा फुटबॉलर भी मिला, इसके अलावा मैराडोना भी अपने सुप्रीम फॉर्म में आ चुके थे। टीम ने इसी वर्ष कोपा अमेरिका और किंग फहद कप जो अब फेडेरेशन कप के नाम से मशहूर है को जीतकर शानदार फॉर्म में आ गयी थी। वह टीम के मैनेजर 1994 तक रहे, जिसके क्लबों से जुड़ गये।
बासिले को मिली संजीवनी
सन् 1990 में अर्जेंटीना जब इटालिया कप में टीम मैनेजर कार्लोस बिलार्डो की नेगेटिव तौर-तरीकों की वजह से हार गयी थी। जिसकी वजह से टीम पूरी तरह बिखर गयी थी, मैनेजर कार्लोस का बर्चा इसलिए अच्छा नहीं माना गयी क्योंकि वह टीम से सिर्फ जीत चाहते थे। उसकी कीमत कुछ भी है, जिसकी वजह से उस दौर में अर्जेंटीना की टीम को सबसे ज्यादा रेड कार्ड भी मिले थे। साथ ही टीम मैराडोना पर कुछ ज्यादा ही डिपेंड हो गयी थी।
ये बने वजह
अर्जेंटीना के पूर्व फुटबॉलर बासिले उस वक्त रेसिंग क्लब एवेलानेडा के मैनेजर थे, जहां उनकी देखरेख में क्लब ने सन् 1988 में सुपरकोपा लिबर्टाडोर खिताब जीता था। उनकी कोचिंग स्टाइल उस वक्त इसलिए मशहूर हुई थी, क्योंकि उनके अप्रोच में फुटबॉल के दांव-पेंच खूब थे। इसलिए अर्जेंटीना फुटबॉल के बेहतर भविष्य के लिए वह बेहतरीन कोच/मैनेजर साबित हो सकते थे। इस तरह वह अर्जेंटीना के कोच बन गये, जहां उनके सामने पहली चुनौती कोपा अमेरिका कप था। जिसके लिए उन्होंने टीम में नए खिलाड़ियों को मौका दिया, क्योंकि वह टीम को मैराडोना-बिलार्डो के युग से आगे ले जाना चाहते थे। उनकी सोच थी कि जो खिलाड़ी घरेलू स्तर पर अच्छा खेल रहे हैं, उन्हें मौका मिलना चाहिए।
रेसिंग कोच से बने फुटबॉल कोच