फुटबॉल के जन्मदाता इंग्लैंड ने 14 जून से शुरू होने वाले फीफा वर्ल्ड कप के लिए कमर कस ली है। इस वर्ल्ड कप में इंग्लैंड की टीम का इरादा 51 साल का सूखा खत्म करने का होगा। इंग्लैंड को वर्ल्ड कप के लिए आसान ग्रुप मिला है, जिसके कारण टीम के नॉकआउट स्टेज तक पहुंचने की उम्मीदें बढ़ गई है। इंग्लैंड को ग्रुप जी में बेल्जियम, ट्यूनीशिया एवं पनामा के साथ शामिल किया गया है। आइये एक नजर डालते हैं इंग्लैंड की टीम की ताकत और कमजोरियों पर…..
इंग्लैंड के मुख्य कोच गैरेथ साउथगेट ने फीफा वर्ल्ड कप के लिए युवा खिलाड़ियों पर दांव खेला है। टीम में गैरी केहिल और जेमी वार्डी जैस अनुभवी खिलाड़ी मौजूद हैं लेकिन सबकी नजरें डैली एली, मार्कस रैशफोर्ड, रहीम स्टर्लिग, जेसे लिंगार्ड, ट्रेंट एलेक्जेंडर-आर्नल्ड और जॉर्डन पिकफोर्ड जैस प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ियों पर टिकी होगी।
गैरेथ साउथगेट
वर्ल्ड कप में इंग्लैंड का अटैक देखने लायक होगा जो उसकी सबसे बड़ी ताकत भी है। टीम में युवा खिलाड़ियों के अलावा हैरी केन और जेमी वार्डी जैसे स्टार स्ट्राइकर हैं जो अपने दम पर मैच जिताने का माद्दा रखते हैं। केन ने इस सीजन इंग्लिश प्रीमियर लीग (ईपीएल) में कुल 30 गोल दागे हैं और एक कप्तान के रूप में वह रूस में विरोधी टीम के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
इसके अलावा कोच ने अनुभवी गोलकीपर जो हार्ट की जगह जॉर्डन पिकफोर्ड को टीम में शामिल किया है। हार्ट के अलावा साउथगेट ने इंग्लिश क्लब मैनचेस्टर युनाइटेड के डिफेंडर क्रिस स्मालिंग को भी टीम में जगह नहीं दी है।
इंग्लैंड
इंग्लैंड को भले ही आसान ग्रुप मिला हो लेकिन वो टूर्नामेंट में किसी भी टीम को हल्के में नहीं लेगी, क्योंकि पिछले बड़े टूर्नामेंट में टीम को छोटी टीमों के हाथों उलटफेर का सामना करना पड़ा है। इंग्लिश खिलाड़ियों के मन में 2014 वर्ल्ड कप और 2016 यूरो कप में मिली करारी हार की यादें अभी भी जेहन में ताजा होंगी।
बता दें कि पिछले वर्ल्ड कप में इंग्लैंड ग्रुप स्तर से आगे नहीं बढ़ पाया था और तीन मैचों में दो हार व एक ड्रॉ के साथ अपने ग्रुप में आखिरी पायदान पर रहा था। 2016 यूरो कप के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में उसे आइसलैंड जैसी टीम के खिलाफ 1-2 से उलटफेर कर शिकार होना पड़ा था। यही वजह है कि वर्ल्ड कप 2018 के लिए इंग्लैंड के मुख्य कोच गैरेथ साउथगेट ने टीम के युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया है।
एक तरफ जहां टीम की मजबूती उसका अटैक है तो वहीं टीम में अनुभव की कमी और मिडफील्ड का कमजोर होना वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के लिए मुश्किले पैदा कर सकता है। साल 1966 में अपने घर में बॉब मूर की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीतने वाली इंग्लैंड की टीम पिछले 50 साल में, 1990 को छोड़कर, वर्ल्ड कप के किसी भी संस्करण में क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई है, जोकि इस वर्ल्ड कप में भी प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय है। गौरतलब है कि इंग्लैंड वर्ल्ड कप 2018 में अपने अभियान की शुरूआत 18 जून को ट्यूनीशिया के खिलाफ करेगी।
इंग्लैंड
इंग्लैंड की टीम इस प्रकार है:
गोलकीपर: जेक बटलैंड, जॉर्डन पिकफोर्ड, निक पोप
डिफेंडर: ट्रेंट अलेक्जेंडर-आर्नल्ड, गैरी केहिल, फैबियन डेल्फ, फिल जोन्स, हैरी मैगुएर, डैनी रोज, जॉन स्टोन्स, किएरन ट्रिपियर, काइल वॉकर, एश्ले यंग।
मिडफील्डर: डैली एली, एरिक डायर, जॉर्डन हैंडरसन, जेसे लिंगार्ड, रूबेन लोफ्टस-चीक।
फारवर्ड: हैरी केन, मार्कस रैशफोर्ड, रहीम स्टर्लिग, जेमी वार्डी, डैनी वेल्बेक।
इंग्लैंड