रूस में जारी फीफा वर्ल्ड कप 2018 अपने उलटफेर की वजह से काफी रोमांचक हो चुका है। जर्मनी के बाद अर्जेंटीना, पुर्तगाल और स्पेन की टीमें इस टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी हैं। यही नहीं इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा आत्मघाती गोल का रिकॉर्ड भी बन चुका है। इस बार वर्ल्ड कप में 10 आत्मघाती गोल हो चुके हैं, जो एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इससे पहले यह रिकॉर्ड दस साल पहले 1998 वर्ल्ड कप में बना था, जिसमें 6 आत्मघाती गोल हुए थे। आत्मघाती गोल कई बार टीमों की हार का कारण बने हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं एक आत्मघाती गोल किसी खिलाड़ी की मौत की वजह भी बन चुका है। तो आइये आज हम बताते उस कप्तान की कहानी जिसे फीफा वर्ल्ड कप में आत्मघाती गोल की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी।
जीवन यहां खत्म नहीं होता है, हमें आगे बढ़ना होगा। जीवन का अंत यहां नहीं हो सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि ये कितना मुश्किल है, हमें फिर खड़ा होना होगा। हमारे पास केवल दो विकल्प हैं: या तो हम गुस्से को अपने ऊपर हावी होने दे और हिंसा जारी रखे, या फिर हम इस दुख से उबरे और दूसरों की मदद के लिए अपनी पूरी कोशिश करें। यह हमें खुद तय करना है, हम फुटबॉल के प्रति सम्मान बरकरार रखे। मैं हर किसी का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं। यह एक बहुत ही अद्भुत और दुर्लभ अनुभव रहा है। हम एक दूसरे को फिर से देखेंगे क्योंकि जीवन यहां खत्म नहीं होता। कोलंबियन फुटबॉल टीम के खिलाड़ी आंद्रेस एस्कोबार की ये लाइनें 1994 में वर्ल्ड कप के पहले ही राउंड से टीम के बाहर होने के बाद बोगोटा के एक न्यूजपेपर “एल टिंपे” में छपी थी। ये उनका भीतर का दर्द था जो वर्ल्ड कप से बाहर होने के वजह से उन्हें और उनके देशवासियों को मिला था।
आंद्रेस एस्कोबार
इस आत्मघाती गोल के कुछ ही दिन बाद 2 जुलाई 1994 को आंद्रे एस्कोबार को उनके अपने शहर मेडिलिन में एक पब के बाहर सुबह के साढ़े 3 बजे गोली मार दी गई। ये सजा उन्हें उस आत्मघाती गोल (own goal) के लिए मिली जो उन्होंने कुछ दिन पहले वर्ल्ड कप में अपनी ही टीम के गोल पोस्ट में गोल करके की थी।
आंद्रेस एस्कोबार
ये वो दौर था जब कोलंबिया में ड्रग्स के साथ-साथ फुटबॉल भी तेजी से पैर पसार रहा था। 80 का दशक के अंत तक कोलंबिया में पाब्लो एस्कोबार जैसे ड्रग माफियाओं वर्चस्व हो गया। इन ड्रग माफियाओं में पाब्लो जैसे कुछ लोगों को फुटबाल में भी रुचि थी। इसी फुटबाल प्रेम की वजह से पाब्लो एस्कोबार ने अवैध रुप से कमाये गए धन को फुटबॉल में लगाना शुरु किया। अवैध ड्रग उद्योग के फुटबॉल क्लबों में रुचि बढ़ने की वजह से 1990 के दशक के दौरान कोलंबिया में फुटबॉल प्रगति करने लगा। ड्रग मॉफियाओं के लिए फुटबॉल मुनाफे का सौदा बन गया।
आंद्रेस एस्कोबार
ड्रग माफियाओं की फंडिंग की बदौलत खिलाड़ियों को विश्व स्तर की सुविधाएं मिल रही थी। जगह-जगह लोकल स्तर पर फुटबाल मैदान बनाये जा रहे थे जहां टूर्नामेंट आयोजित होने लगे। इसका परिणाम ये हुआ कि कई प्रतिभावान खिलाड़ी अपने देश के लिए फुटबॉल खेलने लगे और कोलंबिया की टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करने लगी। जब ड्रग माफियाओं के बीच सड़कों पर खुले आम गैंगवार चल रही थी और देश में हत्या की दर दुनिया में सबसे ज्यादा बढ़ गई। इस सबके इतर उस समय कोलंबिया की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम अपने देश की एक नई छवि दुनिया के बीच गढ़ने में लगी थी।
आंद्रेस एस्कोबार
एक तरफ जहां कोलंबिया में ड्रग नेटवर्क तेजी से पैर पसार रहा था जगह-जगह हिंसा की घटनाए हो रही थी। वहीं इन सब के बीच कई प्रतिभाशाली फुटबॉलर अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ रहे थे और इंटरनेशनल लेवल पर अपने देश का नाम रौशन कर रहे थे। कोलंबिया की टीम उस समय दुनिया भर की सर्वश्रेष्ठ टीमों में से गिनी जाने लगी थी। टीम की इस सफलता के लिए पीछे कहीं न कहीं दो एस्कोबार व्यक्तियों का हाथ था जो एक ही शहर मेडिलिन के रहने वाले थे। इनमें पहला नाम था कोलंबिया फुटबॉल टीम के खिलाड़ी आंद्रे एस्कोबार और दूसरा कुख्यात ड्रग माफिया पाब्लो एस्कोबार जो फुटबॉल का दीवाना था।
आंद्रेस एस्कोबार
आंद्रेस एस्कोबार कोलंबिया की टीम की ओर से 1994 में यूएस में होने वाले वर्ल्ड कप में भाग लेने जा रहे थे। साल 1994 यूएसए में होने जा रहे वर्ल्ड कप में कोलंबिया को विश्व कप के संभावित विजेताओं के रूप में देखा जा रहा था, जिसमें मिडफ़ील्ड में चमकीले-सुनहरे बालों वाले कार्लोस वालेडरमैन, फॉरवर्ड लाइन में फॉस्टिनो एस्पीला और युवा डिफेंडर आंद्रेस एस्कोबार शामिल थे। वर्ल्ड कप से पहले ब्राजील के महान फुटबालर पेले ने भविष्यवाणी की थी कि कोलम्बिया कम से कम वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल तक पहुंचेगी और कई लोग उनकी बात से इत्तेफाक भी रखते थे। क्वालीफाइंग चरण के आखिरी मैच में अर्जेंटीना के खिलाफ 5-0 की जीत के बाद कोलम्बियाई फैन्स अपने देश को वर्ल्ड कप का प्रबल दावेदार मान रहे थे। क्वालीफाइंग चरण में कोलंबिया की टीम सभी 6 मुकाबलों में जीत के बाद शीर्ष पर रही। इस दौरान कोलंबिया ने अर्जेंटीना और पेरू जैसी टीमों को धूल चटाई थी।
आंद्रेस एस्कोबार
वर्ल्ड कप में कोलंबिया को ग्रुप-ए में मेजबान संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्जरलैंड और रोमानिया के साथ रखा गया था। हाल के प्रदर्शन को देखते हुए कोलंबिया के फुटब़ल फैन्स अपनी टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे। इस सबके उलट कोलंबिया की टीम में सब कुछ सही नहीं चल रहा था। ड्रग माफियाओं की धमकियों की वजह से खिलाड़ी और कोच डरे हुए थे। इन ड्रग माफियाओं का पैसा सट्टेबाजी में लगा हुआ था जो टीम पर माफियाओं के मन-मुताबिक परिणाम के लिए टीम पर दबाव डाल रहे थे। इन सबके बीच कोलंबिया की टीम कैलिफोर्निया के रोज बाउल स्टेडियम में वर्ल्ड कप का अपना पहला मैच रोमानिया के खिलाफ खेलने उतरी। पहले ही मैच में रोमानिया के काउंटर अटैक गेम ने कोलंबिया की टीम को चौंका दिया। रोमानिया के फ्लोरिन ने मैच के 15वें मिनट में गोल दाग दिया, जिससे कोलंबिया की टीम दवाब में आ गई और 3-1 से मैच गंवा बैठी।
आंद्रेस एस्कोबार
वर्ल्ड कप में कोलंबिया को अपना दूसरा मैच मेजबान अमेरिका के खिलाफ खेलना था। 22 जून 1994 को रोज बाउल के ही मैदान में दोनों टीम आमने-सामने थी। अगले राउंड में जाने के लिए कोलंबिया की टीम पर बेहद दबाव था। इस मैच में कुछ ऐसा होने वाला था जो कोलंबिया और उसकी टीम को पूरी तरह से झकझोर देने वाला था। लगभग 94 हजार दर्शकों से भरे स्टेडियम में मैच अपने निर्धारित समय पर शुरु हुआ। कोलंबिया ने मैच के शुरुआत से ही अमेरिका के गोल पोस्ट पर हर एंगल से अटैक करना शुरु कर दिया लेकिन कोई भी कोलंबियन खिलाड़ी अमेरिकी गोलकीपर की दीवार भेद नहीं पा रहा था।
आंद्रेस एस्कोबार
इसके बाद वो क्षण आया जो कोलंबियन टीम के डिफेंडर एस्कोबार के जीवन को पूरी तरह से बदलने वाला था। मैच के 35वें मिनट में अमेरिका के मिडफिल्डर जोन हार्क्स बॉल को लेकर बांयी ओर से कोलंबियन गोल की तरफ बढ़ने लगे। इस बीच उन्होंने दायें छोर पर मौजूद अपने हमवतन खिलाड़ी एर्ने स्टीवर्ट को बॉल पास की। लेकिन जब तक बॉल स्टीवर्ट के पास पहुंचती उससे पहले बॉल कोलंबियन डिफेंडर आंद्रे एस्कोबार के पैर से लगकर उनके ही गोलपोस्ट में जा घुसी। कोलंबियन गोल कीपर आस्कर कोरडोबा ये मंजर देखने सिवाय और कुछ न कर सके। पूरा स्टेडियम एक क्षण के लिए शांत हो गया। इस गोल के साथ ही कोलंबिया की टीम दवाब में आ गई और मैच के 52वें मिनट में अमेरिका ने गोल कर बढ़त को 2-0 कर दिया। कोलंबिया की टीम आखिर तक गोल करने का प्रयास करती रही। आखिर में मैच के 90वें मिनट में कोलंबिया के वेलेंसिया ने गोल कर टीम को कुछ हौंसला दिया लेकिन ये गोल टीम को हार से नहीं बचा सका। इस हार से कोलंबियन टीम समेत फैन्स भी पूरी तरह टूट गए। जो चीज उन्हें इससे पहले लगातार खुशी देती आई थी आज वही रोने पर मजबूर कर रही थी।
आंद्रेस एस्कोबार
वर्ल्ड कप में अपने शुरुआत के दोनों मैचों में हार का मुंह देखने के बाद कोलिबंया के दूसरे राउंड में जाने की सिर्फ एक ही उम्मीद बची थी। वो उम्मीद थी कि कोलंबिया स्विट्जरलैंड के खिलाफ अपना अगला मैच बड़े गोल अंतर से जीत जाए और रोमानिया अपना मुकाबला अमेरिका के खिलाफ हार जाए। 1994 के वर्ल्ड कप फारमेट के हिसाब से चार बेस्ट तीसरे स्थान वाली टीमों को दूसरे राउंड में जाने का मौका मिलता था। अपने अगले मैच में कोलंबिया की टीम गवारिया और लोजेनो के गोल की बदौलत जीत तो गई लेकिन अमेरिका की टीम रोमानिया से 1-0 से हार गई। इसके साथ ही कोलंबिया के अगले राउंड में जाने की सभी संभावनाएं खत्म हो गई। टूर्नामेंट से बाहर होने के बाद से टीम के कप्तान एस्कोबार जैसे टूट गये। अंदर ही अंदर घुटने लगे। इस हार के लिए अपने वे अपने आप को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। सभी टीममेट्स एस्कोबार की स्थिति को समझ रहे थे। उन्होंने एस्कोबार को समझाने की कोशिश की लेकिन वो लगातार इसके लिए अपने आप को जिम्मेदार ठहराते रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, आंद्रेस ने कभी भी अपने इस मनहूस गोल का रिप्ले नहीं देखा।
आंद्रेस एस्कोबार
टीम के वर्ल्ड कप से बाहर होने के बाद एस्कोबार ने लास वेगास में मौजूद अपने रिश्तेदारों के बजाय अपने देश कोलंबिया वापस लौटने का फैसला किया। ये समय उनके वापस अपने देश जाने के लिए सही नहीं था लेकिन सभी खतरों को दरकिनार करते हुए वे अपने देश वापस लौटे। कोलंबिया के वर्ल्ड कप से बाहर होने के 5 दिन बाद 1 जुलाई को आंद्रेस एस्कोबार ने मेडिलिन में अपने दोस्तों के साथ बाहर जाने की प्लानिंग की। उनके दोस्तों और परिवारवालों ने जान को खतरा बताते हुए उन्हें जाने से मना किया। लेकिन आंद्रेस ने कहा कि मैं अपने लोगों से कब तक मुंह छिपाता रहूंगा। मुझे अपने लोगों का सामना करना ही होगा।
आंद्रेस एस्कोबार
एस्कोबार शाम को अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने के लिए एल पाब्लेडो इलाके के एल इंडिओ बार में पहुंचे। वहां थोड़ा वक्त बिताने के बाद आंद्रे अपने साथियों के साथ एक शराब की दुकान में गये और वहां उन्होंने शराब खरीदी। इसके थोड़ी देर बाद वे सब एल इंडिओ नाइट क्लब में गए। वहां पार्टी करने के बाद सारे साथी एक-एक कर वहां से निकल गए। समय बिताने के बाद उनके सभी दोस्त अपने-घर चले गए और वे बार में अकेले बैठे रहे। अगले दिन यानी 2 जुलाई की सुबह के करीब 3 बजे वे पार्किंग में अपनी कार में अकेले थे, तभी 3 लोग वहां आए और उन्हें कोलंबिया की टीम के वर्ल्ड कप से बाहर होने का जिम्मेदार ठहराने लगे। एस्कोबार की उनसे बहस होने लगी। इस बीच तीन में से दो लोगों ने हैंडगन निकाली और आंद्रेस के सीने में पॉइंट 38 कैलिबर की पिस्टल से 6 गोलियां दाग दी। हत्यारों के अंदर की नफरत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर एक फायर पर तीनों हमलावार ‘गोल-गोल’ चिल्ला रहे थे। गोलियां मारने के बाद तीनों हमलावर टोयोटा पिकअप ट्रक में बैठकर निकल गए और खून से लथपथ आंद्रेस वहीं पड़े रहे। कुछ देर बाद लोगों को पता चला तो वो एस्कोबार को अस्पताल लेकर भागे जहां 45 मिनट बाद उनकी मौत हो गई।
आंद्रेस एस्कोबार
आंद्रेस एस्कोबार की मौत की खबर फैलते ही पूरा देश शोक में डूब गया। जिस समय कोलंबिया की टीम अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि को बदलने में लगी थी, एस्कोबार की चौंकाने वाली हत्या ने देश की उम्मीदों को धराशायी कर दिया। एस्कोबार की अंतिम यात्रा में करीब 120,000 लोग शामिल हुए। इस घटना के दूसरे दिन यानि कि 2 जुलाई 1994 की रात को एस्कोबार की हत्या के आरोप में कोलंबियन ड्रग कार्टेल सैंटियागो गलान के बॉडीगार्ड्स में से एक हम्बर्टो कास्त्रो मुनोज़ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। ऐसा माना जाता है कि गलान को कोलंबिया की हार से काफी नुकसान उठाना पड़ा था।
आंद्रेस एस्कोबार
मुनोज़ ने अगले दिन एस्कोबार की हत्या का अपराध कबूल लिया। मुनोज को जून 1995 में एस्कोबार की हत्या का दोषी माना गया और कोर्ट ने उसे 43 साल के लिए जेल भेज दिया। 2001 में उसकी अपील के बाद सजा घटाकर 26 साल कर दी गई और लगभग अच्छे व्यवहार को देखते हुए 11 साल की सजा काटने के बाद मुनोज़ को साल 2005 में रिहा कर दिया गया। एस्कोबार की हत्या के बाद कुछ खिलाड़ियों ने कोलंबिया की नेशनल फुटबॉल टीम को छोड़ दिया और कुछ ने रिटायरमेंट ले लिया।
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