ब्राजील के पूर्व दिग्गज फुटबॉलर गारिंचा की गिनती उन खिलाड़ियोंं में होती है, जिन्होंने अपने खेल से ज्यादा गलत वजहों से सुर्खियां बटोरी। गारिंचा उस ब्राजीली टीम का हिस्सा रहे, जिसने सन् 1958 और 1962 में ब्राजील को विश्वकप जिताने में अहम योगदान निभाया था। हालांकि इस ब्राजीली फुटबॉलर को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे। जब 1962 के वर्ल्ड कप में ब्राजील की टीम अचानक पेले के चोटिल होने से संकट से घिर गई, तब गारिंचा ने शानदार खेल दिखाते हुए अपनी टीम को चैंपियन बनाया और टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर रहे।
ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले के साथ गांरिचा की जोड़ी बेहद मशहूर और कामयाब थी। लेकिन मैदान पर ये फुटबॉल खिलाड़ी ऑफ फील्ड अपनी महानता साबित नहीं कर सका और अपनी बुरी लतों और आदतों के चलते उनका करियर और वह कामयाबी हासिल नहीं कर सका, जो पेले ने हासिल किया था। गारिंचा जब पैदा हुए थे, तब उनके पैर सामान्य नहीं थे। जिसमें उनके पैर सामान्य आदमियों से ज्यादा मुड़ जाया करते थे। लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बनाते हुए खुद को शानदार ड्रिबलर बनाया।
गारिंचा
गांरिचा का असली नाम मैनुअल फ्रांसिस्को डॉस सांतोस था, उनका जन्म 1930 में रियो डी जेनेरियो से 70 किमी दूर छोटो से गांव में हुआ था। उनकी बहन ने उनका नाम गारिंचा इसलिए रखा था क्योंकि वह सामान्य बच्चों से छोटे दिखते थे। उनके दोस्त उनका खूब मजाक भी उड़ाते थे, क्योंकि गारिंचा का असली मतलब छोटी चिड़ियां होता है। हालांकि उनके पैर का ज्यादा मुड़ना उनकी ताकत बन गया था और बचपन से ही ड्रिबलिंग के बादशाह बन गये थे।
गारिंचा
गांरिचा के पिता बहुत बड़े नशेड़ी थे, जिसकी वजह से उनका जीवन बेहद रफ और रूड बीता है। वह प्रतिभाशाली फुटबॉलर तो थे, लेकिन उनका इसमें करियर बनाने का कोई इरादा नहीं था। सन् 1962 के विश्वकप क्वार्टरफाइनल में इंग्लैंड और ब्राजील के मुकाबले के दौरान मैदान में एक कुत्ता आ गया था। जिसे गांरिचा अपना पालतू कुत्ता बना लिया था।
गारिंचा
गांरिचा को सन् 1962 में सेमीफाइनल के दौरान रेड कार्ड दिखा दिया गया था, लेकिन उन्हें फाइनल में खेलने की इजाजत मिली थी। क्योंकि उनके हक के लिए ब्राजीली सरकार ने मुद्दा फीफा के सामने उठाया था। ब्राजील के लिए गारिंचा ने विश्वकप का फाइनल खेला और उनकी टीम विजयी भी बनी थी।
गारिंचा
गारिंचा के बारे में पेले ने कहा था कि उनको वह लोकप्रियता नहीं मिली थी, क्योंकि उनके समय में ही कई बेहतरीन फुटबॉलरों का उदय हुआ था। इसके अलावा फीफा ने उन्हें फुटबॉल का द चैपलिन बताया था।
गारिंचा को सन् 1962 में फीफा विश्वकप में गोल्डन शू और गोल्डन बॉल का अवार्ड मिला था, इसके अलावा वह 1958 और 1962 में फीफा विश्वकप ऑल स्टार टीम में भी चुने गये थे। साथ ही उन्होंने 50 अंतरराष्ट्रीय मैचों में कुल 12 गोल दागे थे। सन् 1999 में 20 वीं शताब्दी का उन्हें सर्वकालिक महान खिलाड़ियों की सूची में 20 वां स्थान मिला था।
गारिंचा