पिछले कुछ सालों में भारत में फुटबॉल ने तेजी से प्रगति की है। फिर वो चाहे फीफा रैंकिंग में दूसरी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल करना हो या फिर फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप का सफल आयोजन। किसी जमाने में भारत में फुटबॉल को वही दर्जा हासिल था जो आज क्रिकेट को मिला हुआ है। फुटबॉल के शानदार इतिहास में उन खिलाड़ियों का भी बड़ा योगदान है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रौशन किया है। इन्हीं खिलाड़ियों में से एक हैं आईएम विजयन, जिनका आज जन्मदिन है। आइये जानते हैं भारतीय फुटबॉल जगत के दिग्गज खिलाड़ी आईएम विजयन से जुड़ी ये 10 बातें जो शायद ही आप जानते हों।
गरीबी के कारण विजयन का बचपन बहुत कठिनाईयों के दौर से गुजरा। विजयन ने अपना परिवार पालने के लिए कम उम्र में ही त्रिशूर नगर निगम स्टेडियम में सोडा बेचना शुरू कर दिया था। उन्हें एक बोतल से 10 पैसे की कमाई होती थी। यहीं से वो फुटबॉल के प्रति आकर्षित हुए।
आईएम विजयन
विजयन की प्रारंभिक शिक्षा त्रिशूर के चर्च मिशन सोसाइटी हाई स्कूल से हुई। खाली समय मे वह स्कूल के मैदान में फुटबॉल की प्रैक्टिस किया करते थे। इसी दौरान केरल पुलिस के डीजीपी एमके जोसेफ की नजर विजयन पर पड़ी और उन्हें 17 साल की उम्र में केरल पुलिस क्लब के लिए चुन लिया गया और देखते ही देखते वह घरेलू फुटबॉल के बड़े खिलाड़ियों में शामिल हो गए।
आईएम विजयन
विजयन ने 1989 से 2003 के बीच भारत के लिए 79 मैच खेले। वहीं क्लब फुटबॉल में विजयन ने मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, जेसीटी मिल्स और चर्चिल ब्रदर्स जैसे दिग्गज फुटबॉल क्लबों का प्रतिनिधित्व भी किया।
आईएम विजयन
विजयन भारत के शानदार फुटबॉलरों में से एक रहे हैं। कई सालों तक उनके नाम भारत की ओर से सबसे ज्यादा इंटरनेशनल गोल दागने का रिकॉर्ड दर्ज था, जो बाद में सुनील छेत्री ने तोड़ा। विजयन ने अपने 15 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में 79 मैचों में 40 इंटरनेशनल गोल किए।
आईएम विजयन
साल 2003 में विजयन को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया । यह पुरस्कार पाने वाले वह केरल के पहले फुटबॉल खिलाड़ी हैं। साल 2000 से 2004 तक वह भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान भी रहे।
आईएम विजयन
आईएम विजयन पहले ऐसे भारतीय फुटबॉलर थे जिन्होंने एक से ज्यादा बार एआईएफएफ प्लेयर ऑफ द इयर का अवॉर्ड जीता था। विजयन ने साल 1993, 1997 और 1999 में ये अवार्ड अपने नाम किया था।
आईएम विजयन
साल 2001 में विजयन ने एक मलयाली फिल्म “संथम” में काम किया, जिसे सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का नेशनल अवार्ड मिला। इस फिल्म को जयराज ने निर्देशित किया था। 2003 में अफ्रो-एशियन गेम्स के बाद उन्होंने इंटरनेशनल फुटबॉल को अलविदा कह दिया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने चार गोल दागे और सर्वाधिक गोल करने वाले खिलाड़ी बने।
आईएम विजयन
विजयन के करियर का सबसे शानदार क्षण साल 1999 में उस समय आया जब उन्होंने सैफ खेलों में भूटान के खिलाफ मैच में सिर्फ 12वें सेकंड में ही गोल दाग दिया। यह इंटरनेशनल फुटबॉल इतिहास का पांचवा सबसे तेज गोल है। इंटरनेशनल फुटबॉल में सबसे तेज गोल दागने का रिकॉर्ड लुकास पोडोलस्की के नाम है जिन्होंने महज 6 सेकेंड में इक्वाडोर के खिलाफ गोल दागा था।
आईएम विजयन
साल 2005 में विजयन ने ईस्ट बंगाल क्लब ज्वाइन किया जहां वो 1 साल तक रहे। 2006 में उन्होंने पेशेवर फुटबॉल से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। इसके बाद उन्होंने लगभग 15 मलयालम और तमिल फिल्मों में अभिनय किया। मार्च 2017 में खेल मंत्रालय ने विजयन को भारतीय फुटबॉल का नेशनल ऑब्जर्वर नियुक्त किया था।
डिएगो माराडोना के साथ आईएम विजयन
आईएम विजयन का जन्म 25 अप्रैल 1969 को केरल के त्रिशूर में हुआ। विजयन का पूरा नाम इनिवल्लप्पल मणि विजयन है। विजयन ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू 1992 में किया था। उन्होंने बाईचुंग भूटिया के साथ मिलकर लगभग 8 सालों तक भारत की फारवर्ड लाइन को मजबूत प्रदान की।
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