फीफा वर्ल्ड कप 2018 शुरू होने अब सप्ताह भर का भी समय नहीं बचा। इंतजार की घड़ियां धीरे-धीरे ख़त्म होती जा ही हैं। दर्शक अपनी टीम को मैदान में देखने के लिए बेताब हैं। हर देश लोग चाहेंगे कि उनकी फुटबॉल टीम इस ख़िताब पर कब्ज़ा करे। कुल 32 टीमें इस बार वर्ल्ड कप में खेल रही हैं। लेकिन ट्रॉफी तो बस एक ही टीम को मिलेगी। उसके लिए सभी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करेंगे। ऐसे में नजर डालते हैं उन 6 टीमों पर जो इस वर्ल्ड कप ख़िताब की प्रबल दावेदार हैं।
सही मायनों में देखा जाये तो अर्जेंटीना इस बार उतनी मजबूत नहीं कि ख़िताब को आसानी से जीत पाए, लेकिन जिस टीम लिओनेल मेसी जैसे खिलाड़ी हों, वहां कुछ भी संभव है। 4 साल पहले मिली फाइनल में हार को भुलाकर मेसी इस बार निश्चित तौर पर एक कदम और आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। सबसे बड़ा तो सवाल ये है कि क्या ये टीम इतनी सक्षम है कि दूसरी टीम को रोक पाएगी?
अगर वर्ल्ड कप क्वालिफिकेशन को देखेंगे तो समस्या का समाधान हो सकता है। निकोलस ओटामेंडी में काफी सुधार आया है लेकिन अभी भी काफी गुंजाईश है। इन सबके बीच सांपाओली की इस टीम में मेसी के आलावा कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो किसी भी समय मैच का रुख मोड़ सकते हैं। सर्जियो अगुएरो, गोन्ज़ालो हिग्वाइन, आन्हेल डी मरिया जैसे खिलाड़ियों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। अनुभवी और प्रतिभावान खिलाड़ियों से सजी ये टीम ख़िताब की प्रबल उम्मीदवारों में से एक है।
अर्जेंटीना
बेल्जियम इस टूर्नामेंट की सबसे बेहतरीन टीमों में से एक है। टीम के कई खिलाड़ी अपने प्राइम करियर से गुजर रहे हैं। बावजूद इसके इस टीम के साथ सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये गोल के लिए रोमेलू लुकाकू के ऊपर कुछ ज्यादा ही निर्भर है। ऐसे में अगर लुकाकू असफल हुए तो टीम संकट में आ जाएगी। टीम के कोच रॉबर्टो मार्टिनेज और स्टार प्लेयर केविन डे ब्रूयना के बीच का विवाद में भी टीम के लिए चिंता का सबब हो सकता है।
इस सबको पीछे छोड़ते हुए टीम बहुत ही संतुलित है और उसके पास वर्ल्ड क्लास प्लेयर हैं। थिबॉट कोर्टवा, टोबी अल्डरविरल्ड, यान वेर्टोंघन और विंसेंट कोम्पेनी डिफेंस में लाजवाब हैं। जबकि मिडफील्ड डे ब्रूयना, मूसा डेम्बेले और एक्सल विट्सेल संभालेंगे। वहीं अटैकिंग डिपार्टमेंट में लुकाकू, ईडन हजार्ड, ड्रीस मर्टेंस और मिची बत्शुआई के होते हुए इस साइड को हराना किसी भी टीम के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। ये टीम किसी भी मैच में बड़ा उलटफेर कर सकती है।
बेल्जियम
चार साल पहले जर्मनी के हाथों 7-1 से मिली शर्मनाक हार के साथ वर्ल्ड कप से बाहर होने वाला ब्राज़ील इस बार भी सबसे पसंदीदा टीमों में से एक है। एलिसन बैकर या एडरसन मोरेस, मिरांडा, थियागो सिल्वा, मार्सेलो विएरा और फिलिपे लुइज जैसे खिलाड़ी डिफेंस को मजबूती देंगे। डैनी अल्वेस के पैर में चोट है, ऐसे में इस वर्ल्ड कप में उनका खेलना मुश्किल है।
मिडफ़ील्ड में कार्लोस हेनरिक कैसेमिरो बेहद मजबूत हैं, फर्नांडिनियो में काफी सुधार आया है। इसके बाद आपके पास फिलिपे कुटीनियो, जोस पाउलिनियो, डगलस कोस्टा, विलियन और रेनाटो ऑगस्टो जैसे खिलाड़ी भी आपके पास हैं। और आखिरी में गैब्रिएल हेसुस, रोबर्टो फर्मिनो और नेमार जैसे खिलाड़ी फ्रंट पर मोर्चा थामे दिखेंगे।
इस टीम में टैलेंट की कोई कमी नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है अग्रेसन। जैसा कि हम क्वालीफ़ायर मैच में देख चुके हैं। टीम का सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी नेमार इक्वेडोर के खिलाफ बेवजह बुकिंग करने की कोशिश कर रहे थे, जिस कारण उनको चार मैचों से बाहर भी बैठना पड़ा। और जहाँ तक लीडरशिप की बात है, हेड कोच टिटे हर मैच के लिए अलग-अलग कप्तान चुन सकते हैं, और यह इनके लिए फायदेमंद भी हो सकता है।
ब्राजील
बात अगर टैलेंट की करेंगे तो फ्रांस की टीम बेल्जियम से मिलती-जुलती है। फ्रांस को इस टूर्नामेंट का लंबा अनुभव है। यूरोपियन चैंपियनशिप 2016 के फाइनल में पुर्तगाल के हाथों हारने वाली इस टीम ने पूरे टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया था। इसमें कोई दो राय नहीं कि पूरी की पूरी टीम कुछ वर्ष ही पुरानी है, लेकिन उनके कई टैलेंटेड खिलाड़ी दुनियाभर में नाम कमा रहे हैं।
यूगो लोरिस, सैमुएल उमतिति, रफाएल वरान, एनगोलो कांटे, ब्लेज मतुइदी, पॉल पोग्बा, थॉमस लेमार, किलियन म्बप्पे, ओस्मान डेम्बेले, एंटोइन ग्रीज़मन जैसे शानदार खिलाड़ी इस टीम के पास हैं। पॉल पोग्बा बहुत अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन उनके प्रदर्शन में अनुरूपता की कमी है। और ये हम इस साल मैनचेस्टर यूनाइटेड के मैचों में देख चुके हैं। और यह फ्रांस के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
फ्रांस
जर्मनी इस टूर्नामेंट की न सिर्फ सबसे पसंदीदा टीम है, बल्कि ख़िताब का सबसे बड़ा दावेदार भी है। टीम में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जो पिछली विजेता टीम में भी थे। अनुभव की भरमार है। लिओन गोरेत्ज्का और जोशुआ किमिख (बायर्न म्यूनिख) का नाम फुटबॉल प्रेमियों के की जुबान पर पहले से ही हैं। जेरोम बोआटेंग, मैट्स हमल्स, टोनी क्रूस, मेसुत ओज़िल, थॉमस मुलर, सैमी खेदिरा, यूलियन ड्रैक्सलेर के अलावा एंटोनियो रूडीगर, मार्को रोएस और इल्काए गुंडोवान भी टीम में हैं। जर्मनी को हराना इस वर्ल्ड कप में भी हराना इतना आसान नहीं होगा।
इतनी अच्छी टीम होने बाद इस टीम में कुछ खामियां भी हैं। गोलकीपर मैनुएल नोएर घायल हैं। उनकी जगह मार्क-आंद्रे टेर स्टेगन को बुलाया गया है, लेकिन वे नोएर की जगह नहीं ले सकते। जर्मनी की ये कड़ी जरूर कमजोर साबित होगी। स्ट्राइकर कई मौकों पर चूक जाते हैं और आउट ऑफ फॉर्म लगने लगते हैं। ऐसे में कोच योआखिम लूव मारियो गोमेज़ और टिमो वेर्नर पर बड़ा दाव खेल सकते हैं।
जर्मनी
स्पेन की ये टीम पहले जैसी मजबूत तो नहीं है, लेकिन अभी इस टीम मैच विनिंग प्लेयर मौजूद हैं। क्वालिफिकेशन में कोई मैच न हारने वाली इस टीम को यहां भी हराना इतना नहीं होगा। डेविड डे हेया संभवतः दुनिया के सबसे बेहतरीन गोलककीपर्स में से एक हैं। उनके सामने सेंटर बैक पार्टनर सर्जियो रामोस और जेरार्ड पीके की जोड़ी को भेदकर गोल करना इतना आसान नहीं होगा। जॉर्डी अल्बा और सेज़ार एज़्प्लिक्वेटा लेफ्ट/राइट बैक्स में रक्षापंक्ति को और मजबूती देंगे।
मिडफ़ील्ड में आपको सर्जियो बुस्केट्स, इस्को, कोके, आंद्रेस इनिएस्ता, थिएगो अल्कन्टारा, डेविड सिल्वा सरीखे खिलाड़ी मिलेंगे। और अततः अल्वारो मोराटा की जगह चुने गये डिएगो कोस्टा फ्रंट में दिखेंगे। हालांकि कोस्टा ने एटलेटिको मैड्रिड की ओर बहुत ज्यादा मैच नहीं खेले हैं।इस्को टीम के की प्लेयर होंगे।
स्पेन