भारत में 28 नवंबर से हॉकी वर्ल्ड कप 2018 का आगाज होने जा रहा हैं, जिसमें मेजबान टीम भारत की कड़ी परीक्षा होगा। ये वर्ल्ड कप भारत में होने जा रहा है, ऐसे में भारतीय टीम को घरेलू सरजमीं का अतिरिक्त फायदा मिलने की उम्मीद हैं। हालांकि टीम पर घरेलू दर्शकों के सामने शानदार प्रदर्शन करने का भी दवाब होगा।
वैसे तो इस पूरे टूर्नामेंट में भारतीय फैन्स टीम के हर खिलाड़ी से शानदार प्रदर्शन की उम्मीद लगा रहे हैं, लेकिन टीम का एक खिलाड़ी ऐसा है जिस पर सभी की निगाहें टिकी होंगी। हम बात कर रहे हैं भारतीय टीम की दीवार हरमनप्रीत सिंह की, जिन पर गोल रोकने के साथ-साथ पेनल्टी कॉर्नर से विपक्षी टीम के खिलाफ गोल करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी। आइये जानते हैं भारतीय टीम के प्रतिभावान खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह के बारे में…..

हरमनप्रीत सिंह
हरमनप्रीत सिंह का जन्म 6 जनवरी 1996 को अमृतसर के जांडियाला गुरु गांव में हुआ। हरमन को बचपन से ही अपने पिता के ट्रैक्टरों से काफी लगाव था और 10 साल की उम्र में ही उन्होंने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था।

हरमनप्रीत सिंह
हरमनप्रीत ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनकी ड्रैग फ्लिक में जो एक्सट्रा पावर है, वो ट्रैक्टर के गियर स्टिक से ही उन्हें मिली है। साल 2011 में हरमन ने जालंधर की सुरजीत हॉकी एकेडमी ज्वॉइन की।

हरमनप्रीत सिंह
सुरजीत हॉकी एकेडमी में हरमन ने गगनप्रीत और सुखजीत सिंह से हॉकी की बारीकियां सीखी। हरमन को पहली बार साल 2014 में आयोजित सुल्तान जोहार कप से पहचान मिली। इस टूर्नामेंट में हरमनप्रीत को ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ घोषित किया गया।

हरमनप्रीत सिंह
सिंतबर 2014 में हरमनप्रीत सिंह को हॉकी इंडिया लीग की नीलामी में दबंग मुंबई टीम ने 51 हजार अमेरिकी डॉलर में खरीदा था। शुरूआत में हरमन फॉरवर्ड खिलाड़ी बनना चाहते थे, लेकिन सुरजीत हॉकी एकेडमी में कोच ने उन्हें डिफेंडर बनने के लिए प्रेरित किया।

हरमनप्रीत सिंह
हरमनप्रीत सिंह भारतीय हॉकी टीम के पेनल्टी कॉर्नर स्पेशलिस्ट भी हैं और कई अहम मौकों पर गोल कर उन्होंने भारत को जीत दिलाई है। हरमन 2016 में लंदन में आयोजित चैंपियंस ट्रॉफी में सिल्वर जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। 2018 में भी वह भारतीय टीम का हिस्सा रहते हुए एक बार फिर इसी टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे।