विश्व के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से एक भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान संदीप सिंह टीम इंडिया में वापसी की जगह अब कोचिंग से जुड़ना चाहते हैं। संदीप ने खुद स्वीकार किया कि अब राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिहाज से वह उम्रदराज हो गये हैं और इसलिए अब वह युवा खिलाड़ियों को ड्रैग फ्लिक की कला में माहिर बनाना चाहते हैं।
संदीप 2014 से राष्ट्रीय टीम से बाहर है। पिछले साल एचआईएल के दौरान पीठ में लगी चोट ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। संदीप ने पीटीआई से कहा, ‘‘मेरे पिताजी हमेशा मुझसे कहते हैं कि जो सूरज सुबह को उगता है वह शाम को अस्त होता है। मेरा भी समय था और मैंने लंबे समय तक बने रहने की पूरी कोशिश की। मैंने पर्याप्त हॉकी खेली और अब उस खेल को वापस कुछ देना चाहता हूं जिसके कारण आज मैं यहां हूं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी कुछ खास योजनाएं हैं। मेरे पास कुछ खास विचार हैं, देसी विचार जिन्हें मैं कोचिंग में लागू करना चाहता हूं। मैं भारतीय ड्रैग फ्लिकर के साथ जमीनी स्तर पर जुड़कर उन्हें तैयार करना चाहता हूं। कौशल के लिहाज से और पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने के आंकड़े को देखते हुए मैं आज भी भारत का नंबर एक ड्रैग फ्लिकर हूं। ’’
लंदन ओलंपिक 2012 में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले संदीप ने कहा, ‘‘मैं अब भी देश की तरफ से खेलने की इच्छा रखता है लेकिन अंदर से मुझे लगता है कि मेरा अंतरराष्ट्रीय करियर समाप्त हो चुका है। राष्ट्रीय टीम में फिर से जगह बनाना बहुत मुश्किल है। उम्र मेरे साथ नहीं है। ’’
संदीप का हालांकि मानना है कि क्रिकेट की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी को खेल से उचित विदाई दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि हॉकी भारत में क्रिकेट की तरह लोकप्रिय नहीं है लेकिन उम्मीद है कि भविष्य में प्रत्येक मशहूर हॉकी खिलाड़ी को उचित विदाई मिलेगी। ’’
संदीप अभी हॉकी इंडिया लीग में नहीं खेल रहे हैं जिसका उन्होंने कारण नहीं बताया लेकिन वह ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में अपने कौशल को निखारने के बाद अगले सत्र में इसमें अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एचआईएल में क्यों नहीं खेल रहा हूं इसके कारणों का खुलासा नहीं करूंगा लेकिन मार्च में ऑस्ट्रेलिया और फिर सितंबर में इंग्लैंड में खेलूंगा और अगले साल लीग में वापसी करूंगा। ’’