क्रिकेट, फुटबॉल और कुछ बाकी खेलों की बढ़ती लोकप्रियता के बीच भारत ही नहीं, बल्कि बाकी देशों में भी कबड्डी धीरे-धीरे गुम हो रही है, लेकिन एक जमाना ऐसा भी रहा है जब इसी खेल की भारत में तूती बोलती थी। भारत कबड्डी का बेताज बादशाह बन चुका था।
कबड्डी 1982 में खेल जगत में दस्तक दे चुकी थी। 1990 में बीजिंग में हुए एशियन गेम्स में कबड्डी को पहली बार शामिल किया गया। यहीं से पता चल गया कि इस खेल में भारत की लंबी बादशाहत रहने वाली है। एशियन गेम्स में छह टीमों ने शिरकत की। लेकिन भारत को एक भी टीम पछाड़ नहीं सकी। पांच के पांच मैच जीते और बांग्लादेश को हराकर कबड्डी का पहला गोल्ड भी जीता। फुर्ती, खेल की समझ और सटीक रणनीति जो भारत के पास थी, इस वक्त तक किसी और टीम के पास नहीं थी। ये खेल अभी ज्यादातर टीमों के लिए नया था। मगर इसके बाद जब टीमों ने कबड्डी को समझ लिया तब भी वो भारत को डिगा नहीं सके।
1994, 1998, 2002, 2006, 2010 और 2014 में भी एशियन गेम्स में कबड्डी का गोल्ड टीम इंडिया के पास से कोई टीम छीन नहीं सकी। बांग्लादेश, पाकिस्तान, इरान, थाईलैंड जैसी टीमों ने दमदार प्रदर्शन किया है, लेकिन एशिया में इंडिया का दबदबा कायम है..26 साल से।