देश में क्रिकेट और चंद कुछ स्पोर्ट्स को छोड़ दें तो आर्थिक रूप से खिलाड़ियों की बड़ी गंभीर हालात है। देश और राज्य में ऐसे स्टार खिलाड़ियों की कमी नहीं जो अभावों में जी रहे हैं। कई स्टार खिलाड़ी आज परेशानियों में हैं पर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। ऐसा ही कुछ बिहार और झारखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके राष्ट्रीय कबड्डी टीम के स्टार प्लेयर प्रमोद कुमार के साथ हो रहा है जो आज जमशेदपुर के सोनारी में डोसा बेचकर बमुश्किल अपना और परिवार का गुजारा चला रहे हैं।
अपने अवार्ड और सर्टिफिकेटस को संजोने की कोशिश में जुटे कबड्डी के स्टार खिलाड़ी और गोल्ड मेडल जीतने वाले प्रमोद आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। घर से बगावत कर कबड्डी में अपनी जगह बनाने वाले प्रमोद कुमार अविभाजित बिहार और बाद में झारखंड टीम से लगातार खेलते रहे और सफलता मिलती रही। राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में 90 के दशक से लेकर 2002 तक वे अपना डंका बजाते रहे। लेकिन जब स्पोर्ट्स कोटा के तहत नौकरी की कोशिश की तो उन्हें निराशा हाथ लगी। प्रमोद नौकरी के अभाव में आर्थिक तंगी से जुझता रहा। जैसे तैसे जमशेदपुर की एक प्रतिष्ठित प्राइवेट कंपनी में ठेके में नौकरी करने लगे थे लेकिन वहां काम करने के दौरान उनकी आंखों में कुछ ऐसा पदार्थ आ घुसा कि उनकी आंखों की आधी रोशनी चली गई। उसके बाद मिले थोड़े मुआवजे से न तो आंखें पूरी तरह से ठीक हुई और ना ही जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ पाई। नौकरी ने भी उन्हें घर में बैठा दिया। हालात से थक हारकर प्रमोद ने डोसा बेचना शुरू कर दिया। फिलहाल वे मुख्यमंत्री से मिलने की इच्छा रखते हैं और उन्हें लगता है कि शायद वे मुख्यमंत्री तक अपने अचीवमेंट्स पहुंचा देंगे तो आर्थिक हालात सुधर जाएंगे।