आप शुद्ध शाकाहरी हो और आपको ईरान जाने का मौका मिले तो सबसे पहले भोजन की समस्या का ख्याल आपके जेहन में आएगा और उसके बाद दूसरी समस्या होगी संवाद की। आप भारतीय हैं, आपको अपने विरोधी देश की टीम का कोच बनने के लिए कहा जाए, आप कोच बनकर अपने देश के ही खिलाफ टीम तैयार करें और वो टीम भारत को परास्त करें। सुनने और सोचने में ही अजीब लगता है। आज हम आपको एक ऐसी भारतीय महिला कोच की कहानी बताने जा रहें है जो जन्मी तो भारत के महाराष्ट्र में लेकिन दिल लगा सात समंदर पार ईरान में। आप सोच रहे होंगे भला कौन हैं जो भारत की नागरिक होकर भारत को ही मात देने की प्लानिंग करती हैं।

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भारतीय टीम उन्हें खलनायिका के तौर पर देखती हैं। हम बात कर रहें हैं शैलेजा जैन की जिन्होंने एशियन गेम्स में भारतीय महिला टीम को हराकर भारतीय कबड्डी के वर्चस्व को ही चुनौती दे डाली। भारत के एकक्षत्र राज को खत्म करने के पीछे भी इसी महिला का हाथ है। भारतीय महिला कबड्डी टीम को हराने वाली इस कोच की कहानी भी बड़ी अजीब है। शैलजा जैन का खेल के प्रति इतना जुनून था कि अपने 9 माह की बच्ची को स्तपान तक कराना छोड़ देती थी। शैलेजा का यही जुनून और कड़ी मेहनत रंग लाई और एशियाई खेलों में ईरानी टीम ने भारतीय टीम को जबरजस्त पटखनी दी।
जानिए क्या हैं शैलेजा जैन की कहानी

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नागपुर में जन्मी शैलजा, खो-खो कबड्डी जैसे खेल खेलते हुए बड़ी हुईं उनकी शादी नाशिक के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुई, उनके पति ने उन्हें कबड्डी खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने पिता के पैसे से राष्ट्रीय खेल संस्थान में ट्रेनिंग ली, उसके बाद तकरीबन 300 नेशनल लेवल के खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी। कहा जाता है कि उन्होंने ने 2008 में भारतीय महिला कबड्डी टीम की कोच बनने की कोशिश की थी, लेकिन मौका नहीं दिया गया। शैलजा ने सोचा, भले ही वह भारत की कोच नहीं बन सकी लेकिन किसी अन्य देश की कोच तो बन ही सकती हैं। इसके लिए उन्हें कोई रोक नहीं सकता।
उनकी नजर ईरानी लड़कियों पर थी।

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शैलजा को ईरान की लड़कियां पसंद थी उनकी फिटनेस और अनुशासन उन्हें भाता था। एक साक्षात्कार में उनहोंने ईरान की टीम का कोच बनने की इच्छा जताई। सौभाग्यवश उन्हें मौका मिला। बकौल शैलेजा, “जब ईरान की टीम का प्रस्ताव मेरे सामने आया तो मैंने इसे चुनौती की तरह लिया। शुरुआत में मुझे कुछ समस्या हुई, क्योंकि मैं शाकाहारी थी, भाषा की समस्या थी। फिर मैंने थोड़ी फारसी सीखी और अब ये काम बेहद आसान हो गया।”
शैलजा की माने तो वह ईरान के इस्लामिक नियमों को लेकर थोड़ी चिंतित थी लेकिन उन्हें वहां सब मन मुताबिक ही मिला, हाँ पहनावे को लेकर थोड़ी बंदिशें जरूर थी लेकिन उन्हें सलवार सूट के साथ ओढ़नी लेने की आजादी मिली। उनके मुताबिक़ उन्हें भारतीय कबड्डी टीम को ट्रेनिंग देने में कोई गुरेज नहीं है। भारत मेरा देश है और मुझे अपने देश से बेहद प्यार हैं।