प्रो कबड्डी लीग के छठे सीजन का आगाज आज यानी 7 अक्टूबर से हो रहा है। इस सीजन का पहला मुकाबला तमिल थलाइवाज और गत् विजेता पटना पाइरेट्स के बीच आज शाम 7:30 बजे से खेला जाएगा। बता दें कि 13 हफ्तों तक चलने वाले इस टूर्नांमेंट में कुल 12 टीमें हिस्सा ले रही हैं, जो खिताब के लिए एक-दूसरे से भिड़ेंगी। फाइनल मुकाबला 5 जनवरी 2019 को खेला जाएगा।
इस लीग में भारतीय खिलाड़ियों के साथ-साथ विदेशी खिलाड़ी भी भाग लेते हैं। यही वजह है कि ये लीग भारत ही नहीं बल्कि देश के बाहर भी काफी लोकप्रिय हैं, जिनमें ईरान, कोरिया, अर्जेंटीना और बांग्लादेश शामिल हैं।
कबड्डी इसलिए भी लोकप्रिय है क्योंकि इस खेल में खिलाड़ियों की शारीरिक और मानसिक दोनों ही चीजों की कड़ी परीक्षा होती है, ऐसे में खिलाड़ियों को अपनी फिटनेस और डाइट का खास ख्याल रखना होता है। आईये जानते हैं कबड्डी के खिलाड़ियों के डाइट और वर्कआउट प्लान के बारे में……
एक कबड्डी खिलाड़ी की डाइट की बात करे तो ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि इस खेल के खिलाड़ी रोजाना 8000 से 12000 कैलोरी ग्रहण करते हैं। वहीं एक सामान्य भारतीय सिर्फ 2400 से 2600 कैलोरी लेता है।
हम सभी जानते हैं कि कबड्डी के अधिकतर खिलाड़ी ग्रामीण इलाकों से आते हैं और उनकी डाइट भी उसी तरह की होती है। घी और मक्खन कबड्डी खिलाड़ियों की डाइट का प्रमुख हिस्सा है। इसके अलावा चिकन और मटन भी उनकी डाइट का जरूरी हिस्सा है।
द टेलीग्राफ के मुताबिक, “एक वर्ल्ड क्लास कबड्डी खिलाड़ी दिनभर में 4 लीटर दूध के साथ 200 ग्राम मक्खन खा जाता है। साथ ही घी लगी 7 रोटी, दाल, पनीर और सलाद उनकी डेली खुराक का हिस्सा है।
प्रो कबड्डी लीग के एक खिलाड़ी के मुताबिक, खिलाड़ी सुबह 6 बजे उठ जाते हैं। उत्तर भारत के सभी खिलाड़ी प्रैक्टिस से पहले सुबह के नाश्ते में रोटी और दाल खाते हैं। इसके बाद सुबह 10 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं। दोपहर में लंच में भी खिलाड़ी पनीर या मीट के साथ रोटी खाते हैं। डिनर में भी दाल और रोटी होता है। हर बार खाने के साथ खिलाड़ी दूध भी लेते है।
इतने सालों में हालांकि खिलाड़ियों की डाइट में कुछ बदलाव हुआ है। अब खिलाड़ी वेस्टर्न नाश्ते को भी अपने डाइट में शामिल कर रहे हैं, जिसमें अंडे, जूस, कॉर्न फ्लैक्स और ओट्स शामिल हैं। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि ये सभी चीजें फैट फ्री हैं।
हम पहले भी बता चुके हैं कि कबड्डी सिर्फ शारीरिक खेल नहीं बल्कि एक दिमागी खेल भी है। इसलिए इसमें मजबूत शरीर के साथ-साथ मानसिक मजबूती की भी जरूरत होती है। सुबह 6 बजे उठने के साथ ही खिलाड़ी जॉगिंग और बेसिक स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज करते हैं। इसके बाद कबड्डी की प्रैक्टिस होती है। इतनी प्रैक्टिस के बाद खिलाड़ी मसल्स को आराम देने के लिए स्विमिंग करते हैं।