अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में चल रहे यूथ ओलंपिक गेम्स 2018 में भारतीय एथलीट कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। मेडल टेबल की बात करे तो 5 मेडल के साथ चौथे स्थान पर बना हुआ है। दिलचस्प बात ये है कि भारत ने इस बार जूडो में मेडल हासिल कर इतिहास रच दिया।
भारत के लिए ये मेडल थंगजाम तबाबी देवी ने जीता। इस मेडल के जीतने के साथ ही तबाबी देवी ओलंपिक स्तर पर पदक जीतने वाली पहली भारतीय बन गईं। तबाबी ने महिलाओं की 44 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का नाम पूरी दुनिया में गौरवान्वित किया। बता दें कि भारत ने इससे पहले जूनियर और सीनियर लेवल पर जूडो में कोई भी ओलंपिक मेडल नहीं जीता था।
भारत के नार्थ-ईस्ट राज्य से आने वाली तबाबी देवी के लिए ये मेडल उस कड़ी तपस्या का फल है, जो पिछले कई सालों से उनका परिवार कर रहा था। मणिपुर के एक छोटे से गांव मयंग से ताल्लुक रखने वाली तबाबी का जूडो ओलंपियन बनने का सफ़र काफ़ी संघर्षपूर्ण रहा।
थंगजाम तबाबी देवी के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और मां मछलियां बेचती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में रहकर भी तबाबी ने वो कारनामा कर दिखाया जो हर किसी के बस की बात नहीं है। साल 2010 में थंगजाम महज 8 साल की थी, जब उनका चयन 50 बच्चों के साथ एकेडमी में हो गया था। इस एकेडमी में उन्हें सोरजीत मीतेई, सुरचंद्र सिंह और ए रुपचंद्र सिंह ने ट्रेनिंग दी।

तबाबी देवी
एकेडमी में शामिल होने के बाद भी तबाबी का संघर्ष कम नहीं हुआ। इस दौरान भी परिवार की कमजोर आर्थिक स्थित तबाबी की राह का रोड़ा बनी रही लेकिन उनके अडिद इरादे को डिगा नहीं सकी। इस बीच ओलंपियन अनीता देवी और तोंबी देवी की नजर उन पर पड़ी जो उनके करियर के लिए टर्निंग पाइंट साबित हुई।
तबाबी देवी ने साल 2016 में बिहार में आयोजित सब-जूनियर नेशनल्स में पहली बार गोल्ड के रूप में नेशनल मेडल जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद किर्गीस्तान में एशियन कैडेट चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर उन्होंने तहलका मचा दिया। इसी साल वह जालंधर में जूनियर एंड कैडेट चैंपियन बनीं।
साल 2017 में एक बार फिर उन्होंने एशियन कैडेट चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर अपने परिवार और गांव का नाम रौशन किया। यही नहीं कजाकस्तान में आयोजित कैडेट एशियन कप में गोल्ड जीतकर उन्होंने यूथ ओलंपिक के लिए अपना टिकट पक्का किया।
इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में तबाबी के माता-पिता ने बताया, “जब बेटी ने जूडो की शुरुआती की थी तब वे ऐसे दौर से भी गुजरे कि उनके पास शाम के खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। इसके बावजूद तबाबी की मां उनके लिए कभी एक और दो मछलियां अलग से रखती थी। ताकि उसे पूरा खाना मिल सके।

तबाबी देवी
बेहद भावुक मन से तबाबी की मां कहती है कि उन्होंने और उनके पति (तबाबी के पिता) ने मेहनत करके कुल मिलाकर 240 रुपए कमाए। इस कमाई का हिस्सा वह अपनी बेटी के लिए गिफ्ट के तौर पर रखेंगे। ताकि कभी जरूरत पढ़ने पर उसके काम आ सकें।”
ओलंपिक में मेडल जीतने वाली तबाबी के गांव मयंग में जुडो स्टार के स्वागत की तैयारियां चल रही हैं। तबाबी के पिता ने बताया कि उनकी पत्नी ने बेटी के लिए अलग से सबसे बढ़िया मछली रखी है। तबाबी के पिता बताते हैं, “गोल्ड का बोला था और कोच बता रहे हैं कि सिल्वर आया है। लेकिन हमारे लिए तो तबाबी का सिल्वर ही गोल्ड के बराबर है। “