खेल किसी भी सभ्यता के अहम अंग होते हैं, बिना खेल के किसी भी बेहतर समाज की हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। जहां एक तरफ खेल बौद्धिक और शारीरिक क्षमता के विकास के लिए जरुरी है, तो वहीं इससे अनुशासन, मर्यादा और विशुद्ध मनोरंजन भी होता है। खेलों से किसी भी समान्य मनुष्य का सम्पूर्ण विकास होता है, जो उसे व्यक्ति के रूप में बेहतर बनाता है। हालांकि खेल और भारत की बात करें तो दशकों तक खेल को अच्छा नहीं माना जाता था, लेकिन जब से इसमें पैसों का तड़का लगा तो इसकी वैल्यू बढ़ गयी। आज भारत में हर खेल में खिलाड़ियों के बीच आपस में गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। लेकिन क्या आपको पता है खेलों में पैसा आता कहाँ से है, आपने खेलों के दरम्यान विज्ञापन देखा होगा। ये विज्ञापन पेड होते हैं और विज्ञापन प्रदाता कंपनियां खेलों से जुड़कर खूब कमाई करती हैं। जिसकी वजह से खेलों में खूब पैसा हो गया है। कुछ ऐसी कंपनियां हैं, जो पिछले 100 वर्षों से खेलों से जुड़ी हैं:
ओमेगा ओलंपिक खेलों को सन 1932 से स्पांसर कर रहा है। ये डील साल 2032 तक बढ़ चुकी है। तबतक इस डील के सौ वर्ष भी पूरे हो जाएंगे। ओमेगा 27 ओलंपिक खेलों में आधिकारिक टाइमकीपर रह चुका है।
ओमेगा - आईओसी (1932)
साल 2018 में फोर्ड ऑस्ट्रेलिया ने गीलॉन्ग कैट्स के साथ अपने 93 वर्षों के रिश्तों को सेलिब्रेट किया है। इसके साथ ही उनकी डील 2020 तक के लिए बढ़ चुकी है। जो दुनिया के लम्बे स्पांसर और क्लब की जोड़ी में से एक होगी।
फोर्ड और गीलॉन्ग फुटबॉल क्लब (1935)
कोका कोला कंपनी सन 1928 से ओलंपिक खेलों को स्पांसर कर रही है। कंपनी ने ये डील साल 2020 तक बढ़ा दी है।
कोका कोला - ओलंपिक (1928)
स्लाजेंगेर कंपनी सन 1902 से विंबलडन में टेनिस गेंद सप्लाई करती आ रही है। साल 2015 में ये डील 2020 तक के लिए फिर से रीन्यू हो गयी है। विंबलडन टूर्नामेंट दुनिया का सबसे सम्मानित टूर्नामेंट है, जो सन 1877 से खेला जा रहा है।
स्लाजेंगेर- विंबलडन (1902)
लोकप्रिय ऑटो खेलों की बात करें तो फरारी और शैल कंपनी इस खेल से सन 1930 से जुड़े हैं। 88 साल पुराना ये रिश्ता आज भी बरकरार है और पूरी स्पीड के साथ ट्रैक पर दौड़ रहा है।
फरारी - शैल (1930)
विंबलडन चैंपियनशिप और इसके अधिकारिक स्क्वाश खेलों को सन 1935 से रॉबिनसंस स्पांसर कर रहा है। जो खेलों की दुनिया का बहुत पुराना स्पांसर बन गया है।
रॉबिनसंस-विंबलडन, 1935