जब मिल्खा सिंह की फिल्म आई तो पूरी दुनिया को पता चल गया कि भारत में एक ऐसा धावक भी था जो हवा से बातें करता था। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि यहां तक कि मिल्खा सिंह को एक भारतीय धावक ने हरा दिया था।
लेकिन इस धावक की कभी चर्चा नहीं हुई और ये गुमनाम हो गया। इस धावक का नाम माखन सिंह था। उसने अपने परिवार से कहा था कि उसका नाम उसकी मौत के बाद पूरी दुनिया जानेगी। माखन सिंह की मृत्यु साल 2002 में हो गई थी। माखन ने साल 1962 में कोलकाता में आयोजित किए गए नेशनल गेम्स में फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर मिल्खा सिंह को 400 मीटर की रेस में हराया था। इसके अलावा वह टोक्यो ओलंपिक 1964 में भारत की 4×400 मीटर्स रिले और 4×100 मीटर्स रिले के भी सदस्य रहे। इस सबके बावजूद वह कभी भी अपनी जिंदगी में फेमस नहीं रहे और न ही अपनी एथलेटिक कौशल और उपलब्धियों के लिए जाने गए। साल 1972 में जब उनकी सुरिंदर कौर से सगाई हुई तो वह सिर्फ इतना जानती थीं कि माखन एक ट्रक ड्राइवर हैं। आर्मी में सूबेदार मेजर रहे माखन रिटायरमेंट के बाद ट्रक ड्राइवर बन गए।
उनकी पत्नी सुरिंदर बताती हैं, “एक दिन मैंने अचानक एक मैगजीन देखी जिसमें मेरे होने वाले पति के बारे में कुछ लेख लिखे गए थे। उन लेखों में उन्हें प्रख्यात एथलीट बताया गया था। मैंने इस बारे में अपने नाते- रिश्तेदारों को बताया लेकिन साथ ही कहा कि इस बारे में और किसी को न बताएं। एक बार उन्होंने उस फोटोग्राफ को मुझसे उठाने के लिए कहा था जो कपड़ों के बीच कहीं रखी हुई थी। मैंने उनकी वह बेहतरीन फोटो पाई जिसमें वह कोलकाता नेशनल गेम्स में मिल्खा को हराकर फिनिशिंग लाइन में खड़े हुए उनकी ओर देख रहे थे।
उन्होंने गर्व और खेद की सम्मिश्रण वाली आवाज में कहा, “साल 1990 में एक ट्रक एक्सीडेंट के बाद उनका पैर काटना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने अपने स्पोर्टिंग दिनों की उपलब्धियों के बारे में बताना शुरू किया। उन्होंने अपनी उपलब्धियों के बारे में तब बताया जब उनके लिए चलना भी दूभर था। आज माखन के कई मेडल पुरानी व्हिस्की की बोतल के कॉर्टन में रखे हुए हैं। ये कॉर्टन वह अपनी मृत्यु के पहले ही लाए थे।”