साल के तीसरे और सबसे पुराने ग्रैंड स्लैम विंबलडन की शुरुआत सोमवार से हो रही है। कई दिग्गज खिलाड़ी इस बड़े टूर्नामेंट को जीतने की कोशिश करेंगे। कोशिश जीत की होगी तो मेहनत भी आले दर्जे का होगा और इस मेहनत को आसान करेगा भारत। अगर आप नहीं समझ पाएं तो आपको बताते हैं कि विंबलडन में भारत में बने तौलिए (टॉवेल) की खास मांग रहती है। 11 साल से भारत की एक कंपनी यहां तौलियों की सप्लाई करती रही है और हर खिलाड़ियों के बीच इसकी मांग सबसे ज्यादा रहती है।
कई खिलाड़ी तो मैच के बाद अपने किट बैग में भारत में बने इस तौलिए को रख कर चलते बनते हैं। कुछ खिलाड़ी इसे अपने घर ले जाते हैं तो किसी खिलाड़ी की पत्नी मैच के बाद इस खास तौलिए की मांग करती है। वेलस्पन इंडिया नामक यह कंपनी सालों से विंबलडन की स्पॉन्सर रही है। हर साल लगभग 1 लाख से ज्यादा तौलिए विंबलडन के लिए जाते हैं।
वेलस्पन को उस वक्त बेहद फायदा हुआ, जब कंपनी ने अपनी ग्लोबल पहुंच बनाने के लिए साल 2006 में ब्रिटिश टॉवेल ब्रांड क्रिस्टी को खरीद लिया। यह कंपनी गुजरात के वापी में है।
तौलिए की बनावट काफी खास होती है। जहां पुरुषों के लिए हरे और पर्पल रंग के होते हैं। रोजर फेडरर और नोवाक जोकोविच जैसे बड़े खिलाड़ी हमेशा एक्सट्रा तौलिए की मांग करते हैं और वो इसे अपने दोस्तों के बीच बांटते हैं। जोकोविच कहते हैं कि ये तौलिया बेहद खास है। मैं अपने बैग में जगह बना कर रखता हूं ताकि बाद में तौलिया ले जा सकूं।
विंबलडन में भेजे जाने वाले इन तौलिए की बात करें तो ये बेहद खास होते हैं। अलग-अलग मूल कलर के धागे से बनाया जाता है। फाइनल टच से पहले इसे कई बार धोया जाता है। साथ ही पैकिंग भी खास तरीके से की जाती है।