गोल्ड कोस्ट में देश की उम्मीद वेटलिफ्टर साइखोम मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीता। पिछली बार ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीता था। इस बार वह मेडल का रंग बदलने में कामयाब रही। 48KG कैटेगरी में मीराबाई ने रिकॉर्ड 196 किलो ग्राम का टोटल वजन उठाया और एक नया कीर्तिमान रचा। मणिपुर की इस चैंपियन वेटलिफ्टर ने अपना काम तो कर दिया है। अब बारी खुमुकचाम संजीता चानू की है।
संजीता चानू ने ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में हमवतन मीराबाई चानू को मात देकर गोल्ड मेडल जीता था। उस वक्त संजीता चानू महज 20 वर्ष की थी। उन्होंने स्नैच में 77kg और क्लीन एंड जर्क में 96 kg समेत कुल 173kg वजन उठाकर गोल्ड मेडल हासिल किया था। इस बार संजीत चानू की कैटेगरी 5 किलो बढ़ाकर 53kg कर दी गई है। लिहाजा, नई कैटेगरी लेकर उनके पास एक बड़ा चैलेंज है। साथ ही देश की उम्मीदों का भार भी है।
इसलिए सवाल उठता है कि क्या संजीता चानू इस बार भी इतिहास रच पाएंगी? पिछले साल हुए कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में संजीता चानू ने 53kg वर्ग में ही गोल्ड जीतकर गोल्ड कोस्ट के लिए क्वालीफाई किया था। लिहाजा, उन्हें ज्यादा नर्वस नहीं होना चाहिए। हालांकि, मानसिक दबाव संजीता चानू पर जरुर रहेगा क्योंकि वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में वह सफलता नहीं दोहरा पायी थी।
इस टूर्नामेंट में उन्हें पांचवां स्थान मिला था। इसके अलावा पिछले साल अर्जुन पुरस्कार नहीं मिलने पर वह जरुर निराश हुई थी। बाद में संजीता ने दिल्ली हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। बावजूद इसके इस चैंपियन खिलाड़ी पर कल देश की नजरें टिकी होंगी। उम्मीद है कि वेटलिफ्टिंग में एक और सोना भारत आएगा।