26 मई सन् 1983 में भारतीय पहलवान सुशील कुमार का जन्म नजफगढ़ जिले के पास छोटे से गांव बापरोला, दिल्ली में हुआ था। उनके पिता दीवान सिंह एमटीएनएल दिल्ली में बस ड्राइवर और मां कमला देवी साधारण गृहणी हैं। हालांकि उनके घर में खानदानी पहलवानी की संस्कृति चली आ रही थी। उनके दादा, पिता और बड़े भाई भी पहलवान थे, जिसकी वजह से सुशील कुमार ने भी पहलवानी में ही हाथ आजमाया।
सन् 1998 में सुशील कुमार ने फ्रीस्टाइल रेसलिंग में स्विच किया और सफलता उनके कदमों में आ गई, उन्होंने वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। उसके बाद साल 2000 में सुशील कुमार ने जूनियर स्तर के एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। साल 2003 में सुशील कुमार ने सीनियर कैटेगरी में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उनका पहला टूर्नामेंट एशियन चैंपियनशिप था, जिसका आयोजन नई दिल्ली में हुआ था। जहां सुशील को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था।
सुशील कुमार
सुशील कुमार ने 14 वर्ष की उम्र में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम का आखाड़ा ज्वाइन कर लिया। जहां उनकी मुलाकात गुरू सतपाल से हुई, जिन्होंने सुशील को देखते ही, पहचान लिया की उनकी प्रतिभा बेजोड़ है। पूरी तरह से शुद्ध शाकाहारी होने की वजह से सुशील कुमार की डाइट उनके परिवार के लिए महंगा सौदा हुआ करती थी। क्योंकि उस समय उनका परिवार धनी नहीं था। इसके बावजूद उनके घर वाले उनकी डाइट का इंतजाम करने से पीछे नहीं हटे।
सुशील कुमार
यूं तो सुशील कुमार ने अपने सीनियर करियर में 17 पदक अपने नाम किये हैं, जिसमें उनके नाम 5 कांस्य पदक, दो सिल्वर और 10 स्वर्ण पदक जीता है। जिसमें साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर भारतीय रेसलिंग को नया मुकाम दिया। या यूं कहें कुश्ती के लिए दुनिया में मशहूर रहे भारत की कुश्ती में नई जान फूंकने का काम सुशील कुमार ने किया। हालांकि बहुत ही कम लोगों तब ये पता था कि रेपीचेज क्या जिसकी वजह से सुशील कुमार ने कांस्य जीता था। उसके बाद साल 2012 के लंदन ओलंपिक में सुशील कुमार ने गोल्ड के लिए मैट में उतरे लेकिन वह मुकाबला हार गए और उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा था।
बड़ी उपलब्धियां
वैसे सुशील कुमार को साल 2002 कॉमनवेल्थ खेलों के लिए चुना गया था, लेकिन खेलों से तकरीबन एक हफ्ते पहले उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। हालांकि उनका चयन एथेंस ओलंपिक में हो गया था, लेकिन वहां उन्हें 14 वां स्थान हासिल हुआ। लेकिन उन्हें ओलंपिक में पदक लाने का आइडिया मिल गया, उन्हें ये पता चल गया कि ओलंपिक में पदक लाने के लिए कितनी तैयारी होनी चाहिये। सुशील कुमार ने साल 2010, 2014 और 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं। साल 2010 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में सुशील कुमार ने 66 किग्रा भारवर्ग में रुस के पहलवान एलन गोगेव को मात देकर पहली बार देश को इस प्रतियोगिता में मेडल दिलाया।
कॉमनवेल्थ गेम्स