विश्व के महान पहलवानों में भारत के दारा सिंह का नाम आता है। रुस्तम-ए-हिन्द से सम्मानित दारा सिंह ने अपने करियर में 500 मुकाबले खेले और कभी भी हार नहीं मिली। इसके बाद अभिनय में हाथ आजमाया तो हनुमान की भूमिका निभा कर अमर हो गए। पंजाब का यह शेर आज भी कई लोगों के जेहन जिंदा है। जानिए दारा सिंह के बारे में कुछ बेहद खास बातें…
दारा सिंह की शादी काफी कम उम्र में हो गई थी। नतीजा यह हुआ कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही दारा सिंह पिता बन गए।
दारा सिंह
दारा सिंह के छोटे भाई सरदारा सिंह भी पहलवानी करते थे।
दारा सिंह
दारा सिंह मेलों में और राजा महाराजाओं के कहने पर भी कुश्ती किया करते थे
दारा सिंह
दारा सिंह ने 1947 में सिंगापुर में तारलोक सिंह को हराकर चैंपियन ऑफ मलेशिया का खिताब जीता था। मलेशियन खिताब जीतने के बाद 1954 में दारा फिर भारतीय चैंपियन बने थे।
दारा सिंह
दारा ने 1959 में पूर्व विश्व चैम्पियन जार्ज गारडियान्का को हरा कॉमनवेल्थ की विश्व चैम्पियनशिप जीती थी। 1968 में वे अमेरिका के विश्व चैम्पियन लाऊ थेज को पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती के विश्व चैम्पियन बने थे। उन्होंने 55 की उम्र तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी हार का मुँह नहीं देखा।
दारा सिंह
दारा सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के 200 किलो वजनी किंग कांग को सर से ऊपर उठाया और घुमा के फेंक दिया था। महज 130 किलो के दारा सिंह द्वारा लगाया गया ये दांव देखकर दर्शकों ने दांतो तले उंगलियां दबा ली थी।
दारा सिंह
दारा ने सांसे रोक देने वाले नजारे में किंग कांग को उठाकर रिंग से बाहर फेंक दिया था और किंग दर्शकों से महज कुछ ही कदम की दूरी पर जा कर गिरे थे।
दारा सिंह
1983 में उन्होंने अपने जीवन का आखिरी मुकाबला जीतने के बाद कुश्ती से सम्मानपूर्वक संन्यास ले लिया था।
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अपराजित रहने वाले और कुश्ती के कई दिग्गज नामों को धूल चटाने वाले दारा सिंह ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत 1952 में फिल्म संगदिल से की थी। उन्होंने आगे जाकर कई फिल्मों में अभिनय किया और कुछ फिल्में प्रोड्यूस भी की। अटल बिहारी वाजपेयी के काल में दारा राज्यसभा के लिए मनोनित किए गए।
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